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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ का बड़ा बयान, कहा- ‘जजों का सामाजिक-राजनीतिक दबावों से आजाद होना जरूरी’

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नई दिल्ली, 29 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट के डायमंड जुबली समारोह में सेरेमोनियल बेंच की कार्यवाही को संबोधित करते हुए भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों को सामाजिक और राजनीतिक दबावों से आजाद रहना चाहिए। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने लोकतंत्र को मजबूत रखने में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को लेकर बात कही।

सुप्रीम कोर्ट की सेरेमोनियल बेंच में सभी 34 जज शामिल थे, जिनका नेतृत्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ करते हैं। इस कार्यकर्म में देशभर के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी शामिल थे। पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम में नागरिक-केंद्रित इंफोर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी पहल की शुरुआत की। इस मौके पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश सी अग्रवाल ने सभा को संबोधित किया।

सीजेआई ने जजों की व्यक्तिगत आजादी पर दिया जोर

चीफ जस्टिस ने कहा, ‘एक आजाद न्यायपालिका का मतलब असल में संस्था को कार्यकारी और विधायी शाखाओं से अलग करना नहीं है, बल्कि जजों के रूप में अपनी भूमिकाओं के दौरान व्यक्तिगत तौर पर जजों की आजादी भी है।’ उन्होंने कहा, ‘फैसला करने की कला सामाजिक और राजनीतिक दबाव और इंसानी पूर्वोग्रहों से मुक्त होनी चाहिए। लिंग, विकलांगता जैसे मुद्दों पर जजों को शिक्षित और संवेदनशील बनाने के लिए कोशिश की जा रही है।’

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