नई दिल्ली, 9 जून। उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के पूर्व बुधवार को बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला, जब कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने अपने आवास पर जितिन प्रसाद को पार्टी की सदस्यता दिलाई, जहां वह भाजपा नेता से मिलने पहुंचे थे।
तवज्जो न मिलने से पार्टी हाईकमान से नाराज थे
बताया जा रहा है कि कांग्रेस के बड़े ब्राह्मण चेहरों में शुमार 47 वर्षीय जितिन प्रसाद पार्टी हाईकमान से नाराज थे। वह कांग्रेस में तवज्जो न मिलने और यूपी कांग्रेस के कुछ नेताओं से अपनी नाराजगी जाहिर भी कर चुके हैं। जितिन प्रसाद की शिकायत को पार्टी हाईकमान ने नजरअंदाज किया और यही वजह है कि उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़ कमल का साथ पकड़ लिया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले वर्ष छोड़ी थी कांग्रेस
देखा जाए तो एक वर्ष के भीतर कांग्रेस के लिए यह दूसरा बड़ा आघात है। पिछले वर्ष मार्च में मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी इसी तरह कांग्रेस हाईकमान से नाराजगी के चलते पार्टी छोड़ दी थी और भाजपा में शामिल हो गए थे। बाद में वह भाजपा कोटे से राज्यसभा पहुंचे।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले बीजेपी अपने सभी सियासी समीकरण को दुरुस्त करने में जुट गई है। अंदरूनी खबर है कि भाजपा से ब्राह्मणों का एक बड़ा तबका नाराज है। यह नाराजगी खासतौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर है। ऐसे में भाजपा जितिन प्रसाद को जोड़कर ब्राह्मणों के बीच बड़ा संदेश देना चाहती है।
पिता जितेंद्र प्रसाद की राजनीतिक विरासत संभाल रहे जितिन
शाहजहांपुर में जन्मे जितिन प्रसाद कांग्रेस के दिग्गज नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं। जितेंद्र प्रसाद दो प्रधानमंत्रियों – राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हाराव के राजनीतिक सलाहकार रह चुके थे। हालांकि वर्ष 2000 में कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ गये, लेकिन वह हार गए थे और अगले ही वर्ष उनका निधन हो गया था।
जितिन प्रसाद की राजनीतिक सफर
जितेंद्र प्रसाद के निधन के बाद जितिन प्रसाद ने उनकी राजनीतिक विरासत संभाली। 2001 में वह भारतीय युवा कांग्रेस से जुड़ गए। 2004 में वह शाहजहांपुर सीट से जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे। यूपीए-1 की सरकार में जितिन प्रसाद को केंद्रीय मंत्री बना दिया गया। वह मंत्री बनने वाले सबसे युवा चेहरों में से एक थे।
वर्ष 2009 में जितिन प्रसाद, धौरहरा लोकसभा सीट से लड़े और जीते। यूपीए-2 में जितिन प्रसाद को पेट्रोलियम और सड़क-परिवहन जैसे अहम मंत्रालय की बतौर राज्य मंत्री जिम्मेदारी मिली थी। लेकिन वर्ष 2014 का चुनाव जितिन प्रसाद हार गए। इसके बाद से ही उनके राजनीतिक सितारे गर्दिश में चल रहे थे।
हालिया वर्षों में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने जब से यूपी कांग्रेस की कमान संभाली है और यूपी प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार उर्फ लल्लू को बनाया गया है, तब से जितिन प्रसाद को पार्टी में तवज्जो नहीं मिल रही थी। कई बार खुले मंच पर वह अपनी नाराजगी जाहिर भी कर चुके थे। इस दौरान कई बार उनके भाजपा में शामिल होने की खबरें भी उड़ती रही थीं। इसी क्रम में जितिन प्रसाद को पश्चिम बंगाल का चुनाव प्रभारी बना दिया था और यूपी की सियासत से दूर किए जाने के कारण वह ज्यादा नाराज हो गए थे।