प्रयागराज, 3 अप्रैल। महिला को अगवा कर दुराचार मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वामी सच्चिदानंद (साक्षी महाराज) और अन्य आरोपितों को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालय के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। जस्टिस शमीम अहमद ने अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया।
क्या था पूरा मामला
दरअसल, एटा कोतवाली नगर में एक महिला ने साक्षी महाराज और साथियों पर अपहरण कर दुराचार का आरोप लगाया था। महिला का आरोप था कि एम मेडिकल क्लीनिक से अपहरण के बाद उदयपुर के एक आश्रम में नौ दिन तक उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। पुलिस ने मामले में चार्जशीट पेश की, जिसके बाद साक्षी महाराज समेत सभी आरोपितों ने कोर्ट के समक्ष आरोप मुक्त करने की अर्जी प्रस्तुत की।
26 नवंबर 2001 को सभी आरोपितों को किया गया मुक्त
बाद में पीड़िता भी अपने बयान से मुकर गई। वहीं, इस संबंध में टूंडला क्षेत्राधिकारी ने जांच के दौरान आरोप सही नहीं पाए थे, जिसके बाद अधीनस्थ न्यायालय ने 26 नवंबर 2001 को सभी आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया।
राज्य सरकार की अपील को हाई कोर्ट ने किया खारिज
इसके बाद राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए पुनरीक्षण याचिका दाखिल की। राज्य सरकार के अधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि पीड़िता के बयान और हलफनामे में अंतर है। पीड़िता को डरा धमका कर हलफनामा दायर किया गया हो। कोर्ट ने इस संबंध में पीड़िता के हलफनामे को मानते हुए आरोपितों को मुक्त कर दिया है।
पुनरीक्षण याचिका खारिज
वहीं कोर्ट ने इस संबंध में कहा कि दुष्कर्म के मामले में मेडिकल रिपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण साक्ष्य पेश नहीं किए गए। साथ ही मेडिकल क्लिनिक के डॉक्टर ने भी घटना से इनकार किया है। क्षेत्राधिकारी को भी जांच में आरोप सही नहीं पाए। इसके बाद कोर्ट ने पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी। याचिका पर राज्य की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता अभिषेक शुक्ल व विपक्षी साक्षी महाराज व अन्य की तरफ से अधिवक्ता विपिन कुमार ने बहस की।