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पाकिस्तान : इमरान खान को बड़ी राहत, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने तोशाखाना मामले को अस्वीकार्य घोषित किया

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इस्लामाबाद, 4 जुलाई। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री व पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख इमरान खान के खिलाफ तोशाखाना मामले को अस्वीकार्य घोषित कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हुमायूं दिलावर ने 10 मई को तोशाखाना मामले में खान को दोषी ठहराया था, जिन्होंने मामले की स्वीकार्यता के बारे में आपत्तियों को खारिज कर दिया था।

हाई कोर्ट ने इमरान के खिलाफ आपराधिक काररवाई पर रोक लगा दी थी

इमरान खान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ इस्लामाबाद उच्च न्यायालय पहुंचे थे, जिसने मामले पर आपराधिक काररवाई पर आठ जून तक रोक लगा दी थी। जून में सुनवाई फिर से शुरू होने के बाद न्यायालय ने 23 जून को याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि वह ईद-उल-अजहा के बाद इस मामले को देखेंगे। अब मुख्य न्यायाधीश आमेर फारूक ने खान के खिलाफ तोशाखाना मामले को अस्वीकार्य घोषित कर दिया।

राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख मुद्दा बन गया था तोशखाना मुद्दा

उल्लेखनीय है कि तोशखाना कैबिनेट डिवीजन के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक विभाग है और अन्य सरकारों और राज्यों के प्रमुखों और विदेशी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा शासकों, सांसदों, नौकरशाहों और अधिकारियों को दिए गए बहुमूल्य उपहारों को संग्रहीत करता है। पाकिस्तान के चुनाव आयोग द्वारा गलत बयान और गलत घोषणा करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री को अयोग्य घोषित करने के बाद इमरान खान द्वारा प्राप्त राज्य उपहारों की बिक्री पर तोशखाना मुद्दा राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रमुख मुद्दा बन गया था।

निर्दिष्ट अवधि के बाद शिकायत दर्ज करने पर इमरान ने जताई थी आपत्ति

इमरान खान पर 2018 से 2022 की अपनी प्रीमियरशिप का दुरुपयोग राज्य के कब्जे में उपहार खरीदने और बेचने के लिए करने का आरोप लगाया गया था, जो विदेश यात्राओं के दौरान प्राप्त हुए थे और जिनकी कीमत 140 मिलियन रुपये (635,000 अमेरिकी डॉलर) से अधिक थी। अपनी याचिका में पीटीआई अध्यक्ष ने एक निर्दिष्ट अवधि के बाद शिकायत दर्ज करने पर आपत्ति जताई।

खान के वकील ख्वाजा हारिस ने कहा कि रिटर्न जमा करने के चार महीने के भीतर ही शिकायत दर्ज की जा सकती है। हालांकि, एक दिन पहले पीटीआई प्रमुख ने अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें न्यायमूर्ति आमेर को मामले से अलग करने की मांग की गई थी।

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