प्रयागराज, 24 मई। यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री और समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता मो. आजम खान और उनके परिवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से शुक्रवार को बड़ी राहत मिली, जब अदालत ने आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला को दो जन्म प्रमाण पत्र के मामले में जमानत दे दी और तीनों की सजा पर भी रोक लगा दी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने आजम खान, तंजीन और अब्दुल्ला आजम की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर यह फैसला सुनाया है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद 14 मई को फैसला सुरक्षित कर लिया गया था। तीनों फिलहाल अलग अलग जेलों में बंद हैं।
गौरतलब है कि आजम खान, उनकी पत्नी व बेटे को रामपुर की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने जन्म प्रमाणपत्र मामले में सात-सात साल कैद की सजा सुनाई थी। आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर कर इसे चुनौती दी गई थी। इसमें जमानत के लिए भी अर्जी दी गई थी।
फिलहाल सिर्फ तंजीन फातिमा ही आ सकती हैं बाहर
फिलहाल हाई कोर्ट से जमानत के बाद भी सिर्फ तंजीन फातिमा ही बाहर आ सकती हैं। आजम खान को डूंगरपुर मामले में सात साल और छजलैट मामले में भी दो साल की सजा मिली हुई है। इसी तरह अब्दुल्ला आजम को आजम खान के साथ छजलैट के मामले में दो साल की सजा मिली हुई है।
पिछली सुनवाई पर महाधिवक्ता ने मांगा था और समय
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता से सवाल किया था कि जब इस मामले में अपराधिक साजिश की धारा 120 बी को जोड़ा गया तो इस धारा के तहत साक्ष्य क्यों नहीं जुटाए गए। मामले में अग्रिम विवेचना आदेश क्यों नहीं दिया गया।
कोर्ट ने पूछा था कि जन्म प्रमाणपत्र जारी करने वाली संस्था नगर निगम के विरुद्ध काररवाई क्यों नहीं की गई। क्या जन्म प्रमाणपत्र एक मूल्यवान दस्तावेज है। इसके जवाब में कहा गया कि इसी जन्म प्रमाणपत्र के आधार पर कई मूल्यवान दस्तावेज तैयार किए गए। महाधिवक्ता सरकार का पक्ष रखने के लिए अदालत से और समय चाहते थे। लेकिन कोर्ट इस पर सहमत नहीं हुई। आजम खां के वकील पहले ही अपनी बहस पूरी कर चुके थे। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया था।
2017 विधानसभा चुनाव के बाद उभरा था फर्जी जन्म प्रमाणपत्र का मामला
दरअसल, विधानसभा चुनाव 2017 में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार से सपा के टिकट पर उतरे और उन्होंने जीत हासिल की थी। हालांकि उनके खिलाफ लड़े नवाब काजिम अली खां उर्फ नावेद मियां तथा बाद में भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र पर चुनाव लड़ने की शिकायत की थी। इस पर हाई कोर्ट ने अब्दुल्ला का चुनाव रद कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली थी।
अब्दुल्ला आजम के शैक्षिक प्रमाण पत्र में उनकी जन्मतिथि एक जनवरी, 1993 दर्ज है और नगर निगम लखनऊ से जारी प्रमाणपत्र में 30 सितम्बर, 1990 दर्ज है। आजम खां सहित तीनों के खिलाफ फर्जी जन्म प्रमाणपत्र तैयार करने के आरोप में केस दर्ज किया गया था।