नई दिल्ली, 4 जून। ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों की टक्कर में 288 जिंदगियां काल का गाल में समा गईं। हादसे के तीन दिन बाद भी वजह का पता नहीं चल पाया है। इस बीच कैग की छह महीने पहले की रिपोर्ट सामने आई है, जिसने डिरेलमेंट के मामलों को लेकर रेलवे की लापरवाहियों की पोल खोलकर रख दी है।
दिसम्बर, 2022 की कैग रिपोर्ट में रेलवे की कई विभागों की लापरवाही विस्तार से बताई गई थी। कैग रिपोर्ट में डिरेलमेंट के लिए कुल 24 कारण बताए गए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2017 से मार्च 2021 के बीच, चार सालों में 16 जोनल रेलवे में 1129 डिरेलमेंट की घटनाएं हुईं। यानी हर साल लगभग 282 डिरेलमेंट हुए। इसमें कुल 32.96 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
डिरेलमेंट की वजहें
- 422 डिरेलमेंट इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही से हुए।
- 171 मामलों में ट्रैक के रखरखाव में कमी डिरेलमेंट की वजह रही।
- 156 मामलों में निर्धारित ट्रैक पैरामीटर का अनुपालन न होने के कारण डिरेलमेंट हुआ।
- मैकेनिकल डिपार्टमेंट की लापरवाही से 182 डिरेलमेंट हुए।
- 37 प्रतिशत मामलों में कोच / वैगन में खराबी और पहियों के डायामीटर में फर्क होना डिरेलमेंट की बड़ी वजह रही।
- 154 डिरेलमेंट में लोको पायलट की खराब ड्राइविंग और ओवर स्पीडिंग मुख्य वजहें रहीं।
- 275 डिरेलमेंट ऑपरेटिंग डिपार्टमेंट की लापरवाही के चलते हुए।
- शंटिंग ऑपरेशन में गलतियां और प्वाइंट की गलत सेटिंग डिरेलमेंट की वजह रहीं। ( 84% मामले)
- 63% मामलों में जांच रिपोर्ट निर्धारित समय सीमा में एक्सेप्टिंग अथॉरिटी के पास जमा ही नहीं की गई।
- 49% मामलों में एक्सेप्टिंग अथॉरिटी ने जांच रिपोर्ट को लेने में ढिलाई बरती।
- ट्रैक नवीनीकरण कार्यों के लिए धन का आवंटन 9607.65 करोड़ रुपये (2018-19) से घटकर 2019-20 में 7417 करोड़ रुपये हो गया।
- ट्रैक नवीनीकरण कार्यों के लिए आवंटित धनराशि का भी पूरा उपयोग नहीं किया गया। 2017-21 के दौरान 1127 डिरेलमेंट में से 289 डिरेलमेंट (26 प्रतिशत) ट्रैक नवीनीकरण से जुड़े थे।
- मौजूदा मानदंडों का उल्लंघन करते हुए 27,763 कोचों (62 प्रतिशत) में अग्निशमन यंत्र उपलब्ध नहीं कराए गए थे।
- रेलवे ट्रैक की ज्यॉमेट्रिकल और स्ट्रक्चरल कंडीशन को चेक करने वाली ट्रैक रिकार्डिंग कारों की कमी महसूस की गई।
- अलग अलग स्थानों पर इनमें 30% से 100% तक की कमी पाई गई।
- आपरेटिंग डिपार्टमेंट ने ब्लॉक ( काम करने के लिए वो समय जिसमें निर्धारित हिस्से पर ट्रेनें न चलें) नहीं दिया, जिसके कारण ट्रैक मशीन का उपयोग नहीं हो सका। 32% मशीनों के साथ ये पाया गया।
- 30% मामलों में स्थानीय रेल डिवीजन की ओर से ब्लॉक नहीं प्लान किया गया (जबकि आवश्यकता डिवीजन को ही होती है)।
- ऑपरेशनल समस्याएं 19% रहीं। स्टाफ उपलब्ध न होने की समस्या 5% रही। सिर्फ 3% मामलों में दिखा कि काम का स्कोप नहीं था।
कैग ने की थीं ये सिफारिशें
- रेलवे को दुर्घटना पूछताछ के संचालन और अंतिम रूप देने के लिए निर्धारित समय-सीमा का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
- भारतीय रेल ट्रैक मेनटेनेंस को सुनिश्चित करने के लिए बेहतर टेक्नोलॉजी से लैस पूरी तरह मशीनी तरीकों को अपनाकर एक मजबूत निगरानी तंत्र विकसित कर सकता है।
- रेल प्रशासन को प्राथमिकता कार्यों के क्षेत्र में धन की कमी से बचने के लिए ‘आरआरएसके निधियों की तैनाती के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों’ का पालन करना चाहिए।