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जन्म दर में बड़ी गिरावट से जापान चिंतित : सरकार का बच्चे पैदा करने वाले जोड़े को प्रतिमाह नकद प्रोत्साहन देने का फैसला

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टोक्यो, 9 जुलाई। दुनिया के चुनिंदा समृद्ध देशों में एक जापान अजब समस्या से जूझ रहा है। दरअसल, पूर्वी एशिया के इस देश की जनसंख्या में साल दर साल गिरावट आती जा रही है। देश में मौतें जहां बढ़ रही हैं वहीं जन्म दर लगातार घट रही है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि जापान में पिछले वर्ष तक बच्चों वाले परिवारों की संख्या 10 मिलियन यानी लगभग एक करोड़ से कम हो गई। इन आंकड़ों ने जापान के अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर दिया है। इससे चिंतित जापान सरकार ने नई चिल्ड्रेन एंड फैमिलीज एजेंसी लॉन्च की है। इसके तहत बच्चे पैदा करने वाले जोड़े को प्रतिमाह नकद प्रोत्साहन देने का फैसला किया गया है।

लगातार सातवें वर्ष जन्म दर में गिरावट

जापान के स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय के अनुसार लगातार सातवें वर्ष जन्म दर में गिरावट दर्ज की गई। देश में 2022 में 800,000 से कम बच्चे पैदा हुए। वहीं, 1.58 मिलियन लोगों की मौत हुई, जो पैदा हुए लोगों की तुलना में लगभग दोगुना है। इससे पहले 2021 में जापान में 811,604 और 2020 में 840,832 बच्चे पैदा हुए थे। वार्षिक जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार, एक महिला द्वारा अपने जीवनकाल में बच्चों को जन्म देने की वर्ष 2021 की औसत संख्या 1.30 से गिरकर वर्ष 2022 में 1.26 रह गई, जो 2005 से रिकॉर्ड निचला स्तर है। प्रजनन दर 2.06-2.07 की दर से काफी नीचे है, जिसे जनसंख्या का तालमेल बनाए रखने के लिए आवश्यक माना जाता है।

49% घरों में केवल एक बच्चा

जापान में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों वाले परिवारों की संख्या 9.917 मिलियन (99.17 लाख) है। ये आंकड़े 2019 के मुकाबले 3.4 प्रतिशत कम हैं और 18.3 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है। इनमें से लगभग आधे (49.3 प्रतिशत) घरों में केवल एक बच्चा है जबकि, 38 प्रतिशत के पास दो बच्चे हैं। वहीं, तीन या अधिक वाले परिवारों की संख्या 12.7 प्रतिशत है।

29% लोगों की उम्र 65 वर्ष से अधिक

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जापान की जन्म दर दुनिया में सबसे कम है। साथ ही यह उच्चतम जीवन प्रत्याशा वाले देशों में से एक है। वर्ष 2020 में जापान में 1,500 लोगों में से लगभग एक की उम्र 100 या उससे अधिक थी। जापान की कुल जनसंख्या करीब 12.70 करोड़ है, जिसमें करीब 29 प्रतिशत 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग शामिल हैं। 15 से 64 वर्ष की आयु के लोगों की संख्या 296,000 घटकर 74,208,000 हो गई, जो कुल जनसंख्या का 59.4% है। यह प्रतिशत एक साल पहले के रिकॉर्ड निचले स्तर के बराबर था।

मध्य जापान के एक गांव में 25 वर्षों में केवल एक बच्चे का जन्म

अनुमान है कि 2050 तक जापान की आबादी में करीब 36 फीसदी और साल 2060 तक 40 फीसदी बूढ़े लोग शामिल होंगे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक टोक्यो को छोड़कर जापान के सभी 47 प्रान्तों में पिछले साल जनसंख्या में गिरावट दर्ज की गई है। मध्य जापान के एक गांव में 25 वर्षों में केवल एक बच्चे का जन्म दर्ज किया गया।

बच्चा पैदा करना महंगा

व्यस्त शहरी जीवनशैली और लंबे कामकाजी घंटों के कारण कुछ जापानी लोगों को परिवार शुरू करने के लिए बहुत कम समय मिलता है और जीवन-यापन की बढ़ती लागत के कारण कई युवाओं के लिए बच्चा पैदा करना बहुत महंगा हो जाता है। 2022 में जापान को बच्चे के पालन-पोषण के लिए दुनिया की सबसे महंगी जगहों में से एक माना गया है।

जन्मदर की गिरावट के लिए COVID-19 जिम्मेदार

वैसे, जापान में जन्म दर कम होने और मृत्यु दर बढ़ने के लिए COVID-19 महामारी भी जिम्मेदार है, जिसने जापान की जनसांख्यिकीय चुनौतियों को बढ़ा दिया है। हाल के वर्षों में कम विवाहों के कारण बच्चों के जन्म में गिरावट आई और अधिक मौतें हुई। जापान में महामारी से करीब 47,000 लोगों की मौत हुई है।

जनसंख्या बढ़ाने के लिए सरकार की महात्वाकांक्षी योजना

जापान सरकार ने  अप्रैल, 2023 में अपनी नई चिल्ड्रेन एंड फैमिलीज एजेंसी लॉन्च की है। इसके तहत सरकार घटती आबादी को रोकने के लिए सालाना लगभग 3.5 ट्रिलियन येन (लगभग $25 बिलियन) खर्च करेगी।

नवजात बच्चे के माता-पिता को दो वर्ष तक प्रतिमाह 15 हजार येन की राशि मिलेगी

इसके तहत सरकार बच्चों को जन्म देने वाले माता-पिता को दो वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे के लिए लगभग 15,000 येन (लगभग 8,607 हजार रुपये) प्रतिमाह देगी। इसके बाद तीन साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए 10,000 येन (लगभग 5,738 रूपये) प्रतिमाह देगी, जिसमें सीनियर हाई स्कूल के बच्चों को भी शामिल करने का भी प्लान किया जा रहा है।

बच्चों के लिए नर्सरी स्कूल या डे-केयर सेंटर खोलने की भी योजना

सरकार बच्चों के लिए नर्सरी स्कूल या डे-केयर सेंटर खोलने की भी योजना बना रही है, भले ही उनके माता-पिता के पास नौकरी न हो। यह वित्तीय वर्ष 2025 से शुरू होने वाले चाइल्ड केअर अवकाश लाभों को बढ़ाएगा, ताकि माता-पिता दोनों के छुट्टी लेने पर भी खर्च करने योग्य पारिवारिक आय चार सप्ताह तक अपरिवर्तित रहे।