प्रयागराज, 19 दिसंबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी भूमि स्वामित्व विवाद मामले में हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल सभी याचिकाओं को सुनवाई योग्य मानते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी और कहा कि सिविल वाद पूजा स्थल अधिनियम द्वारा वर्जित नहीं है।
कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा करने के अधिकार की मांग करने वाले हिंदू उपासकों द्वारा दायर 1991 के सिविल मुकदमे को चुनौती देने वाली याचिका और वाराणसी कोर्ट के 2021 के एएसआई सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका सहित अन्य याचिकाओं का एक समूह पूजा स्थल अधिनियम द्वारा वर्जित नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि वर्तमान मुकदमा देश के दो प्रमुख समुदायों को प्रभावित करता है और ट्रायल कोर्ट को उपरोक्त मामले की 6 महीने में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है।
इसके साथ ही न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ ने विवादित भूमि पर मालिकाना हक के मुकदमे को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि एक मुकदमे में किए गए एएसआई सर्वेक्षण को अन्य मुकदमों में भी दायर किया जाएगा और यदि निचली अदालत को लगता है कि किसी हिस्से का सर्वेक्षण आवश्यक है तो अदालत एएसआई का सर्वेक्षण करने का आदेश दे सकती है।
याचिका के तथ्यों के अनुसार वाराणसी अदालत के समक्ष लंबित यह मुकदमा विवादित स्थल पर एक प्राचीन मंदिर को बहाल करने की मांग करता है, जिस पर वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद का कब्जा है। याचियों का तर्क है कि मस्जिद मंदिर का एक हिस्सा है। गौरतलब है कि गत 8 दिसंबर को कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था।