लखनऊ, 15 मई। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के संस्थापक महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर रविवार को संगठन में दो फाड़ हो गए। किसान विरोधी कानून के विरोध में सबसे आगे रहे भाकियू ने ‘किसान नेता’ राकेश टिकैत को संगठन से निष्कासित कर दिया है। राकेश टिकैत के अलावा उनके भाई नरेश टिकैत को भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया है। दोनों पर राजनीति करने और एक राजनीतिक दल के हितों के लिए काम करने का आरोप लगाया गया है।
राजेश चौहान ने भाकियू (अराजनीतिक) के गठन की घोषणा की
संगठन के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय पदाधिकारी राजेश चौहान ने भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) के नाम से अलग गुट बनाने का एलान कर दिया। भाकियू के एक वरिष्ठ पदाधिकारी हरिनाम सिंह ने बताया “संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेश चौहान ने महेंद्र
राकेश और नरेश ने किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया
चौहान ने इस अवसर पर कहा, ‘मैंने समय-समय पर अपने दृष्टिकोण को सामने रखने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने (भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत और प्रवक्ता राकेश टिकैत) न तो कार्यकर्ताओं की बात सुनी और न किसानों की समस्याओं पर ध्यान दिया। वह गलत संगत में पड़ गए और हमारा अपमान किया।’
उन्होंने कहा, ‘मैंने दिल से नरेश टिकैत और राकेश टिकैत का समर्थन किया, लेकिन जब चुनाव (उत्तर प्रदेश के हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव) आए तो वे दोनों महेंद्र सिंह टिकैत के आदर्शों से भटक गए। वे राजनीतिक पचड़े में फंस गए और संगठन को राजनीतिक दलों के हाथों की कठपुतली बना दिया।’
राकेश टिकैत राजनीतिक दलों के प्रभाव में थे
चौहान ने किसी भी राजनीतिक दल का नाम लिए बगैर कहा, ‘राकेश टिकैत राजनीतिक दलों के प्रभाव में थे। उन्होंने चुनाव में एक पार्टी के लिए प्रचार किया जबकि दूसरी पार्टी का विरोध किया।’ बाद में संवाददाताओं से बातचीत में चौहान ने कहा कि अलग संगठन बनाने का फैसला उनका निजी नहीं है बल्कि उनके कार्यकर्ताओं और किसानों का है।