लखनऊ, 13 जून। यूपी में भले ही 50 फीसदी महिलाओं के पास मोबाइल फोन न हो लेकिन अपना प्रदेश जमीन का मालिकाना हक देने में महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों से आगे है। हालांकि इस मामले में यूपी अभी भी पड़ोसी राज्यों बिहार और झारखंड से पीछे है। पिछले सर्वे के मुकाबले यूपी में महिलाओं को हक देने की दर में 17 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और यह राष्ट्रीय औसत को भी पार कर गया है। नवंबर 2021 में आई राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5(एनएफएचएस-5) की रिपोर्ट में ये बदलाव दर्ज हुए हैं। केंद्र सरकार ने पिछला सर्वे(एनएफएचएस-4) वर्ष 2015-16 में करवाया था।
महिला सशक्तीकरण के नाम पर किए जाने वाले सरकारी बदलावों का असर अब दिखने लगा है। न सिर्फ जमीन बल्कि बैंक एकाउंट खोलने में भी पिछले सर्वे के मुकाबले बढ़ोतरी दिखती है। यूपी में सिर्फ 46 फीसदी महिलाओं के हाथ में अपना मोबाइल है लेकिन जमीन का मालिकाना हक 51 फीसदी के पास है। झारखण्ड में 49 फीसदी के हाथ में मोबाइल है और यहां पर 64 फीसदी के पास अपना मकान या जमीन है।
- केरल में पढ़े लिखे भले ज्यादा, महिलाओं को तवज्जो कम
केरल में सबसे ज्यादा 86.6 फीसदी महिलाओं के पास मोबाइल है लेकिन यहां जमीन का मालिकाना हक देने में महिलाओं पर भरोसा नहीं किया जाता है। यहां केवल 24.5 फीसदी के नाम पर अपना घर या जमीन है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह या केरल के आंकड़ों पर नजर डालें तो जमीन या घरों का मालिकाना हक महिलाओं के पास नहीं है जबकि मोबाइल देने या बैंक एकाउंट खुलवाने में ये पीछे नहीं है। यहां तक की दिल्ली भी इस मामले में हिंदी पट्टी के राज्यों से पीछे है।
- जमीनों का मालिकाना हक देने में हिंदी पट्टी के राज्य आगे
राज्य एनएफएचएस 5/ एनएफएचएस 4
भारत-43.3 / 38.4
यूपी-51.2 / 34.2
दिल्ली-22.7 / 34.9
बिहार- 55.3 / 58.8
गुजरात-42.6 / 27.2
महाराष्ट्र-22.9 / 34.3
हरियाणा-39.3 / 35.8
झारखंड-64.2 / 49.7
मध्य प्रदेश-39.9 / 43.5
केरल-27.3 / 34.9
पंजाब-63.5 / 32.1।