ब्रसेल्स, 10 जुलाई। भारत, अमेरिका और यूरोप के कई देशों से तनातनी के बीच चीन को उस समय एक बड़ा आघात लगा, जब यूरोपीय संसद ने उइगुर मुसलमानों के मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ एकजुटता दर्शाते हुए ड्रैगन के खिलाफ कई प्रस्ताव पारित किए, जिनमें 2022 में प्रस्तावित बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक खेलों का बहिष्कार भी शामिल है।
चीन पर और अधिक प्रतिबंध लगाना चाहिए
यूरोपीय संसद के सांसदों ने शुक्रवार को सहमति जताते हुए कहा, ‘हमें चीन के मानवाधिकारों के हनन के कारण बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले निमंत्रण को अस्वीकार करना चाहिए। इन सांसदों ने अपनी सरकारों से मांग करते हुए कहा कि उन्हें उइगुर मुसलमानों को लेकर चीन के व्यवहार पर और अधिक प्रतिबंध लगाना चाहिए। इसके अलावा यूरोपीय देशों को हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों का समर्थन करना चाहिए।’
चीन के साथ प्रत्यर्पण संधि तत्काल प्रभाव से खत्म करने का प्रस्ताव भी पारित
यूरोपीय संसद ने जिन प्रस्तावों को पारित किया, उनमें हांगकांग के सरकारी अधिकारियों पर प्रतिबंध, चीन के साथ प्रत्यर्पण संधि को तत्काल प्रभाव से खत्म करने और बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के डिप्लोमेटिक बॉयकॉट का आह्वान भी शामिल है।
यूरोपीय संसद के चीन प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष जर्मनी के रेइनहार्ड बुटिकोफर ने यह प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, ‘यूरोपीय संसद में इन मुद्दों पर आम सहमति बहुत मजबूत है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ेंगे कि यूरोप में सदस्य राज्य सरकारें भी एक अडिग रुख अपनाएं।’
यूरोपीय देश यह प्रस्ताव मानने के लिए बाध्य नहीं
हालांकि, यूरोपीय संसद के इस प्रस्ताव को मानने के लिए सदस्य देश बाध्य नहीं हैं। खुद इस प्रस्ताव को पेश करने वाली रेइनहार्ड बुटिकोफर ने कहा कि यह स्पष्ट है कि यूरोपीय संघ के कई सदस्य देश और यूरोपीय आयोग भी हांगकांग में चीन के दमनकारी उपायों के खिलाफ बोलने के लिए अनिच्छुक हैं। यूरोपीय संघ में चीन की बढ़ती आलोचना के बाद भी यूरोप की कई सरकारें सीधे टकराव से हिचकिचाती रही हैं।
चीन ने जताई कड़ी आपत्ति
इस बीच चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने इस प्रस्ताव पर कहा, ‘खेल के राजनीतिकरण और मानवाधिकारों के मुद्दों को बहाने के रूप में इस्तेमाल करके हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का चीन कड़ा विरोध करता है।’ उन्होंने कहा कि राजनीतिक प्रेरणा से बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक खेलों की तैयारी और आयोजन को बाधित करने और तोड़फोड़ करने का प्रयास बेहद गैर-जिम्मेदाराना है। इससे सिर्फ सभी देशों के एथलीटों और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक के हितों को नुकसान पहुंचेगा।