नई दिल्ली, 17 मई। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के वर्किंग ग्रुप II की “क्लाइमेट चेंज 2022: इम्पैक्ट्स, एडाप्टेशन एंड वल्नरेबिलिटी” नाम से एक रिपोर्ट मार्च में जारी की गई थी। इस रिपोर्ट में पहले ही यह संकेत दिया गया था कि एशिया अत्यधिक गर्मी के कारण उच्च मानव मृत्यु दर का सामना कर रहा है। स्टडी के लेखकों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एशिया में हीटवेव, बाढ़, सूखा और वायु प्रदूषकों जैसे खतरों को और अधिक बढ़ा रहा है।
इन खतरों के चलते एशिया में वेक्टर-जनित और जल-जनित बीमारियों, अल्पपोषण, मानसिक विकार और एलर्जी रोग बढ़ रहे हैं। सर्व-कारण मृत्यु दर के अलावा, उच्च तापमान के साथ संक्रमण, सांस संबंधी बीमारी, मधुमेह और संक्रामक रोग से होने वाली मौतों के साथ-साथ शिशु मृत्यु दर में भी वृद्धि होती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारी बारिश और तापमान में वृद्धि से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय एशिया में डायरिया संबंधी बीमारियों, डेंगू बुखार और मलेरिया का खतरा बढ़ जाएगा। लगातार अधिक गर्म दिन और तेज हीटवेव एशिया में गर्मी से संबंधित मौतों को बढ़ाएंगे।
नीति निर्माताओं के लिए रिपोर्ट में यह भी कहा गया है: “इकोसिस्टम, लोगों, बस्तियों और बुनियादी ढांचे पर जलवायु और मौसम की चरम सीमाओं का व्यापक प्रभाव देखा गया है। यह वृद्धि जलवायू परिवर्तन के परिणामस्वरूप हुई है, जिसमें भूमि और समुद्र में गर्म चरम सीमा, भारी वर्षा की घटनाएं, सूखा और भीषण गर्मी का मौसम शामिल है।” ये हीटवेव लगभग निश्चित रूप से मृत्यु दर और मोरबिडिटी को बढ़ाएगी, पारिस्थितिकी तंत्र को नीचा दिखाएगी, फसल की विफलता और उत्पादकता और आर्थिक उत्पादन की हानि का कारण बनेगी।