नई दिल्ली, 16 जून। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद कुमार पॉल ने स्पष्ट किया है कि कोविड-19 संक्रमण का नया पाया गया डेल्टा प्लस वैरिएंट अब तक चिंताजनक वैरिएंट के रूप में वर्गीकृत नहीं है।
डॉ. पाल ने कोविड-19 के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया, ‘वर्तमान स्थिति यह है कि एक नया वैरिएंट पाया गया है। अब तक यह वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (वीओआई) यानी रुचि का वैरिएंट है और अब तक यह वैरिएंट ऑफ कन्सर्न (वीओसी) यानी चिंताजनक वैरिएंट के रूप में वर्गीकृत नहीं है। वीओसी ऐसा है, जिसमें हम समझ चुके हैं कि मानवता के प्रतिकूल परिणाम हैं और जो बढ़ती संक्रामकता या विषैलापन के कारण हो सकते हैं। हम डेल्टा प्लस वैरिएंट के बारे में यह नहीं जानते हैं।’
- वैरिएंट की मौजूदगी का पता लगाना व काररवाई ही आगे का रास्ता
डॉ. पाल के अनुसार आगे का रास्ता यही है कि देश में संक्रमण के इस वैरिएंट की संभावित मौजूदगी पर नजर रखी जाए और उचित सार्वजनिक स्वास्थ काररवाई की जाए। उन्होंने कहा, ‘हमें इस बदलाव के प्रभाव पर नजर रखने की जरूरत है। इस वैरिएंट को वैज्ञानिक तरीके से हमारे देश के बाहर पाया गया है। हमें अपने देश में इसकी संभावित उपस्थिति और विकास का आकलन करने और उसका पता लगाने के लिए इंडियन सार्स-सीओवी-2 कंसोर्टियम ऑन जीनोमिक्स (आईएनएसएसीओजी) के माध्यम से इसकी निगरानी करने की जरूरत है। वायरस के संबंध में यही आगे का रास्ता है।’
उन्होंने यह भी कहा, ‘यह लगभग 28 प्रयोगशालाओं की हमारी व्यापक प्रणाली के लिए भविष्य के काम का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा। प्रणाली निरंतर इस पर नजर रखेगी और इसके महत्व का अध्ययन करेगी। यह कुछ ऐसा है, जिसे विज्ञान को देखना और समझना चाहिए और समझना होगा।’
- वैरिएंट को गोली मार कर दूर करने का कोई सटीक हथियार नहीं
नीति आयोग के सदस्य ने कहा, ‘यह वैरिएंट हमें संक्रमण नियंत्रण के महत्व, नियंत्रण उपायों और व्यवहार की याद दिलाता है। याद रखें कि ऐसा कोई रास्ता नहीं है कि हम इन वेरिएंट को गोली मार कर दूर कर सकते हैं। किसी भी सटीक हथियार का उपयोग करने के लिए सुनिश्चित करें कि वे भविष्य में दिखाई न दें। जरूरत यह है कि हम निगरानी रखें, उनके व्यवहार को समझें और उचित काररवाई करें। साथ ही हम पर पड़ने वाले उनके प्रभावों के प्रति सचेत रहें। उचित काररवाई में एक ही सिद्धांत शामिल है यानी रोकथाम के उपाय और कोविड उचित व्यवहार।’