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गुजरात चुनाव : अहमदाबाद की इन 16 सीटों पर प्रतिष्ठा की लड़ाई, पीएम मोदी ने लगातार दूसरे दिन किया रोड शो

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अहमदाबाद, 4 दिसम्बर। गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे व अंतिम चरण में अहमदाबाद शहर की जिन 16 सीटों पर सोमवार को मतदान होना है, वहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई हैं। दरअसल, 1990 के बाद से इन सीटों पर हुए चुनावों में हमेशा भाजपा ने बढ़त हासिल की है।

आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम ने मुकाबला और रोचक बनाया

कांग्रेस को 2012 में इन 16 सीट में से दो पर जीत मिली थी। 2017 में उसके प्रदर्शन में सुधार हुआ और पार्टी चार सीट जीतने में कामयाब रही। इस बार आम आदमी पार्टी (आप) के आने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है, जिसने सभी 16 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, ऑल इंडिया मज्लिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चार सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि फिलहाल इन 16 में से 12 सीटों पर काबिज भाजपा इनमें से अधिकतर सीटें जीत सकती है और ‘आप’ शायद ही कोई प्रभाव छोड़ पाए। कुछ सीटों पर एआईएमआईएम कांग्रेस के वोट काट सकती है।

माहौल की गंभीरता को ही देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर और मध्य गुजरात की सीटों पर दूसरे चरण के मतदान से पहले शहर में एक के बाद एक दो रोड-शो किए। ऐसे भाजपा की गढ़ कही जाने वालीं अहमदाबाद शहर की 16 विधानसभा सीटें फिर से चर्चा में आ गई हैं। पीएम मोदी ने शहर में एक दिसम्बर को 30 किलोमीटर लंबे रोड शो का नेतृत्व किया था। उनका रोड-शो अहमदाबाद के 13 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरा था। दो दिसम्बर को फिर उन्होंने अहमदाबाद हवाई अड्डे से सरसपुर क्षेत्र तक 10 किलोमीटर के रोड शो का नेतृत्व किया।

शहर में दो प्रमुख सीटें – मणिनगर और घाटलोडिया

गुजरात के अन्य शहरों की तरह इस शहर के मतदाता 90 के दशक की शुरुआत से भाजपा के पीछे मजबूती से खड़े रहे हैं। शहर में दो प्रमुख सीट मणिनगर और घाटलोडिया हैं। मणिनगर सीट से 2002 से 2014 तक खुद नरेंद्र मोदी विधायक रहे थे जबकि पाटीदार समुदाय के प्रभुत्व वाली घाटलोडिया सीट से मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल विधायक हैं। इससे पहले इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल विधायक थीं।

साल 2015 में हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बावजूद 2017 में भूपेंद्र पटेल ने 1.17 लाख वोट के भारी अंतर से जीत हासिल की थी। भाजपा ने दोबारा सत्ता में आने पर पटेल को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने की घोषणा की है।

कांग्रेस ने घाटलोडिया से अपने राज्यसभा सदस्य डॉक्टर अमी याज्ञनिक को मैदान में उतारा है। मणिनगर निर्वाचन क्षेत्र को शहर की सबसे चर्चित सीट और भाजपा का गढ़ कहा जा सकता है। एक ओर जमालपुर-खड़िया व दरियापुर सीट पर मुसलमानों का प्रभाव है, तो दूसरी ओर कम से कम छह अन्य सीटें – घाटलोडिया, ठक्करबापा नगर, साबरमती, मणिनगर, निकोल और नरोदा में पाटीदार समुदाय के मतदाताओं की बड़ी संख्या है।

2012 में भाजपा ने 14 में 12 सीटें जीती थीं

वेजलपुर और दानिलिमदा (सुरक्षित) सीट पर भी मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। साल 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को 14 सीटें मिलीं थीं और कांग्रेस को दो – दरियापुर व दानिलिमदा में जीत हासिल हुई थी। साल 2017 में कांग्रेस ने प्रदर्शन में सुधार कर चार सीटों – बापूनगर, जमालपुर-खड़िया, दरियापुर और दानिलिमदा पर जीत हासिल की थी।

असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने इन चार और वेजलपुर सीट पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की थी, लेकिन बापूनगर सीट से पार्टी के उम्मीदवार शाहनवाज पठान ने जाहिर तौर पर कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में अपना नामांकन वापस ले लिया।

आपने शहर की सभी 16 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं

इस बार अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली ‘आप’ ने शहर की सभी 16 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। साल 2017 में बापूनगर में कांग्रेस के हिम्मतसिंह पटेल ने भाजपा विधायक जगरूपसिंह राजपूत को लगभग 3,000 मतों के मामूली अंतर से हराया था।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एआईएमआईएम के उम्मीदवार ने हालांकि हिम्मतसिंह पटेल के पक्ष में अपना नामांकन वापस ले लिया है, लेकिन संभावना है कि कांग्रेस के मतों के संभावित विभाजन के कारण इस बार भाजपा फिर से सीट जीत सकती है।

उन्होंने कहा, ‘भले ही एआईएमआईएम मैदान में नहीं हो, लेकिन समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अल्ताफ खान पठान मुस्लिम मतों के विभाजन के माध्यम से हिम्मतसिंह पटेल का खेल बिगाड़ सकते हैं और अंततः भाजपा यह सीट जीत सकती है।’

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