जम्मू, 25 अगस्त। केंद्र सरकार की ओर से आतंकी संगठन के तौर पर प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में शक्ति प्रदर्शन के लिए तैयार है और यही वजह है कि वह निर्दलीय उम्मीदवारों के जरिए जोर आजमाएगा।
उल्लेखनीय है कि जमात-ए-इस्लामी का कश्मीर घाटी में दबदबा माना जाता है और वह खुद पर आतंकी संगठन का ठप्पा लगा होने के बावजूद राष्ट्रीय मुख्यधारा में लौटने को लेकर व्यग्र है, लेकिन सरकार की बेरूखी के चलते असहाय है। इसी क्रम में प्रतिबंध के चलते उसने अब अपने सदस्यों को आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारने के लिए कमर कस ली है।
जमात-ए-इस्लामी 1987 के बाद से ही चुनाव से दूर
जमात-ए-इस्लामी 1987 के बाद से ही चुनाव से दूर रही है, जब उसने आखिरी बार मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के बैनर तले चुनाव लड़ा था। जमात के राजनीतिक सूत्रों का कहना है, ‘हमें आतंकी संगठन, लोकतंत्र विरोधी कहा जाता है। हम जमात के सदस्य के रूप में चुनाव नहीं लड़ सकते, लेकिन हम यह दिखाना चाहते हैं कि हम लोकतंत्र और संविधान में विश्वास करते हैं।’
बताया जा रहा है कि जमात के जो नेता आने वाले दिनों में दूसरे व तीसरे चरण में जिन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, उनपर फैसला लिया जाना है। जमात के सूत्रों का कहना था, ‘उम्मीदवारों पर अंतिम फैसला अभी नहीं हुआ है। हमें पता है कि हमारे पास बहुत कम समय है और रविवार तक हम उम्मीदवारों की सूची जारी कर देंगे।’ हालांकि वे इसके प्रति आशंकित भी थे कि पता नहीं, राज्य सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देगी और जमात के निर्दलीय उम्मीदवारों का नामांकन स्वीकार किया जाएगा या नहीं।
जमात नेताओं ने पहले कहा था कि वे केंद्र द्वारा फरवरी, 2019 से यूएपीए एक्ट के तहत लगाए गए प्रतिबंध को हटाने का इंतजार कर रहे हैं। जमायत के सूत्रों ने बताया कि सरकार के साथ कई दौर की बातचीत हुई है। हालांकि, शुक्रवार को यूएपीए ने गृह मंत्रालय द्वारा पारित उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें जमात को अधिनियम के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया था।
जमात के 10-12 सदस्य स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरेंगे
जमात के सूत्रों ने बताया कि इसके शीर्ष निकाय की बैठक के बाद, इसके पूर्व सदस्यों को स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर उतारने का फैसला किया गया है। संगठन के एक सूत्र ने जानकारी देते हुए कहा, ‘हमने 10-12 सदस्यों को स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर उतारने का फैसला किया है। ये सीटें उन क्षेत्रों में होंगी, जहां हमें लगता है कि हमें काफी समर्थन हासिल है।’
प्रथम चरण में इन सीटों पर उतर सकते हैं जमात के प्रत्याशी
प्रतिबंधित संगठन पहले चरण के तहत दक्षिण कश्मीर में कुलगाम, देवसर, बिजबेहरा, जैनपोरा, त्राल, पुलवामा और राजपोरा सहित करीब आधा दर्जन सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। इस पर जमायत के सदस्यों की एक बैठक भी हो चुकी है और बैठक से जुड़े एक सूत्र ने बताया, ‘हमने तीन विकल्पों पर गहन चर्चा की। पहला विकल्प था कि एक मोर्चा बनाया जाए और उसके बैनर तले लड़ा जाए, दूसरा विकल्प गठबंधन का हिस्सा बनना था, और तीसरा विकल्प था कि निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा जाए।’
जमात के सूत्र ने बताया, ‘हालांकि किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनने से इनकार किया गया, लेकिन सदस्यों की राय थी कि कम समय में कोई मोर्चा पंजीकृत नहीं किया जा सकता है, और किसी भी स्थिति में ऐसे उम्मीदवारों को निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ना होगा। इसलिए हमने तीसरा विकल्प चुना। चुनाव लड़ने वाले लोग जमात के पूर्व या पंजीकृत सदस्य होंगे।’