ढाका, 23 अगस्त। पेट्रोल-डीजल के संकट से जूझ रहे पड़ोसी देश बांग्लादेश की सरकार ने बिजली बचाने का नया उपाय किया है। इसके तहत प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने देशभर के स्कूल अब हफ्ते में एक दिन की बजाय दो दिन बंद रखने और कार्यालयों के समय में एक घंटे की कटौती करने का फैसला किया है। देश में पिछले ही माह से प्रतिदिन दो घंटे बिजली कटौती शुरू की चुकी है, फिर भी कई हिस्सों में बिजली न होने की वजह से अधिक समय तक अंधेरे का सामना करना पड़ रहा है।
देश में डीजल चालित 10 बिजली संयत्र पिछले माह से ही बंद
पेट्रोल व डीजल की कमी के ही चलते बांग्लादेशी सरकार को डीजल से चलने वाले सभी बिजली संयंत्रों को भी बंद करना पड़ा है। दरअसल, रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद आयातित ईंधन की लागत बढ़ने से इस दक्षिण एशियाई देश ने पिछले महीने ही अपने सभी 10 डीजल बिजली संयंत्रों को बंद कर दिया था।
स्कूल अब शुक्रवार के अलावा शनिवार को भी बंद रहेंगे
कैबिनेट सचिव खांडकर अनवारुल इस्लाम ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने फैसला किया है कि स्कूल अब सप्ताह में दो दिनों तक बंद रहेंगे। स्कूल आमतौर पर सप्ताह में छह दिन खुलते हैं और शुक्रवार को बंद रहते हैं, लेकिन शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि वे अब शनिवार को भी बंद रहेंगे।
सरकारी दफ्तर पूर्वाहन 8 से अपराह्न 3 बजे तक खुलेंगे, बैंक समय में भी कटौती
इसी क्रम में बुधवार से सरकारी एजेंसियां सामान्य पूर्वाह्न नौ बजे की बजाय आठ बजे से खुलेंगी और शाम पांच बजे की बजाय अपराह्न तीन बजे बंद होंगी। वहीं, बैंक पूर्वाह्न 10 बजे की जगह अब नौ बजे खुलेंगे और शाम छह बजे की बजाय चार बजे बंद हो जाएंगे।
गांवों को सिंचाई के लिए निर्बाध बिजली मुहैया कराई जाएगी
इस्लाम ने कहा कि प्राइवेट ऑफिस अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अपने खुलने का समय निर्धारित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार आधी रात से सुबह तक गांवों को सिंचाई के लिए निर्बाध बिजली मुहैया कराएगी।
कारखानों के लिए साप्ताहिक अवकाश की भी घोषणा
गौरतलब है कि इस माह की शुरुआत में सरकार ने 16.5 करोड़ लोगों के देश में छात्रों और विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन के बीच तेल की कीमतों में 51.7 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की। सरकार ने बिजली बचाने के लिए कारखानों के लिए साप्ताहिक अवकाश की भी घोषणा की है।
बांग्लादेश की 416 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वर्षों से दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है, लेकिन बढ़े हुए आयात बिलों के कारण घटते विदेशी मुद्रा भंडार ने सरकार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित वैश्विक एजेंसियों से ऋण लेने के लिए प्रेरित किया है। सरकार ने विलासिता की वस्तुओं और तरलीकृत प्राकृतिक गैस के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।