लखनऊ, 20 दिसम्बर। उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव की घोषणा पर रोक एक दिन और बढ़ गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुनवाई बुधवार तक के लिए टाल दी है। माना जा रहा है कि अब बुधवार को इस पर फैसला आ सकता है।
वस्तुतः ओबीसी आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट एक पखवारे में तीन बार अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा चुका है। कोर्ट ने शपथ पत्र में शपथ की तारीख तक का उल्लेख न होने पर नाराजगी जताई और कहा कि इतने महत्वपूर्ण मामले को इस प्रकार हल्के में कैसे ले सकते हैं।
इससे पहले यूपी सरकार की ओर हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया। इसमें कहा गया कि 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। प्रदेश सरकार ने अपने जवाब में कहा कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए।
माना जा रहा है कि हाई कोर्ट के आदेश से मेयर, चेयरमैन पदों का आरक्षण प्रभावित होगा। हाई कोर्ट में मेयर, चेयरमैन पदों को लेकर पांच दिसम्बर को जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। इस पर हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब-तलब करते हुए आरक्षण की अंतिम अधिसूचना पर रोक लगा दी थी।
क्या है मामला
निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुरेश महाजन के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के चलते मामला फंस रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल लेयर प्रक्रिया पूरी करने के आदेश दिए थे। ओबीसी आरक्षण घोषित करने से पहले आयोग का गठन, इस आयोग द्वारा निकायों में पिछड़ों की स्थिति का आंकलन और फिर आरक्षित सीटें प्रस्तावित करने की व्यवस्था तय की गई थी। अब देखना है कि हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के समक्ष सरकार की ओर से पेश किए जाने वाले पक्ष पर न्यायालय का क्या रुख रहता है।
दावेदारों की तैयारियों पर विराम लगा
इस बीच भाजपा, बसपा, सपा, रालोद, आप और निर्दलीयों ने अपनी तैयारियों पर विराम लगा दिया है। वजह यह है कि शासन की ओर से अभी मेयर, चेयरमैन के साथ ही वार्डों के आरक्षण की अंतिम अधिसूचना जारी होनी है। यदि हाई कोर्ट से कोई प्रतिकूल आदेश हुआ तो फिर चुनाव टलने की आशंका है।