नई दिल्ली, 24 दिसम्बर। ओलम्पिक कांस्य पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निर्वाचित निकाय को निलंबित किए जाने का खेल मंत्रालय के फैसले का स्वागत किया है और अपना पद्मश्री पुरस्कार वापस लेने के लिए तैयार हैं, जो उन्होंने डब्ल्यूएफआई के नए अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ‘बबलू’ के निर्वाचन के विरोध में लौटा दिया था।
मंत्रालय ने कहा कि कुश्ती महासंघ ने 21 दिसम्बर के चुनावों के दौरान नियमों और विनियमों का उल्लंघन किया है और यह भी कहा कि संजय सिंह की नियुक्ति जल्दबाजी में की गई, जबकि डब्ल्यूएफआई सचिव ने इसका विरोध किया था।
पूनिया ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, ‘मंत्रालय ने सही फैसला लिया है। हम पर राजनीतिक आरोप लगाए गए, हम अपने क्षेत्र से विभाजित हैं। इसे हरियाणा बनाम यूपी की तरह चित्रित किया गया। हम देश के लिए पदक जीतते हैं। वे सभी को धमकी दे रहे थे। क्या, बृजभूषण सरकार से बड़े हैं? हमारा रुख वही है। बृजभूषण और उनके लोगों को डब्ल्यूएफआई का हिस्सा नहीं होना चाहिए। हर राज्य संघ में उनके लोग हैं।’
दिल्ली में पीएम मोदी के आवास के बाहर फुटपाथ पर अपना पद्मश्री छोड़ने वाले बजरंग ने खुलासा किया कि डब्ल्यूएफआई के खिलाफ उनके रुख के लिए पहलवानों को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है और बिरादरी के एक वर्ग द्वारा उन्हें देशद्रोही भी करार दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “हमें देश के लिए किए गए कुछ अच्छे कामों के कारण सरकार द्वारा (पद्म श्री) से सम्मानित किया गया। निश्चित रूप से, हम इसे वापस लेंगे। ट्रोल्स हमें ‘देश द्रोही’ कह रहे हैं। क्यों? हमने देश के लिए अपना खून-पसीना बहाया है। ये सभी ट्रोल बृजभूषण सिंह के समर्थक हैं। हमें लेबल करने वाले ये ट्रोल कौन होते हैं?”
गौरतलब है कि नवनिर्वाचित डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष संजय सिंह पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी हैं। इसके विरोध में ओलंपिक पदक विजेता साक्षी ने खेल छोड़ने का फैसला किया जबकि पुनिया ने संजय सिंह द्वारा गुरुवार को बृजभूषण की जगह लेने के विरोध में अपना पद्मश्री लौटा दिया था। एक अन्य पैरा पहलवान वीरेंद्र सिंह ने भी पद्मश्री लौटाने की घोषणा की थी।