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एशियाई पैरा खेल : अवनि लेखरा ने 10 मीटर एयर राइफल में बाजी मारी, भारत ने अब तक 6 स्वर्ण पदक जीते

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हांगझू, 23 अक्टूबर। भारतीय पैरा शूटर अवनि लेखरा ने यहां जारी चौथे एशियाई पैरा खेलों के दूसरे दिन सोमवार को महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल की SH1 स्पर्धा में 249.6 अंकों के साथ स्वर्ण पदक जीता। इन खेलों की निशानेबाजी स्पर्धा में यह भारत का दूसरा पदक है। इसके पूर्व रुद्रांश खंडेलवाल ने मिश्रित 50 मीटर पिस्टल एसएच1 में रजत पदक जीता।

भारतीय खिलाड़ियों ने दो दिनों में निर्णीत स्पर्धाओं के बाद कुल छह स्वर्ण, छह रजत व पांच कांस्य सहित 17 पदक जीते हैं और अंक तालिका में मेजबान चीन (29+27+22=78), ईरान (8+7+6=21) और उज्बेकिस्तान (6+6+8=20) के बाद पदक तालिका में चौथे स्थान पर है।

अवनि ने नया एशियाई पैरा गेम्स रिकॉर्ड भी बनाया

जयपुर की रहने वालीं 22 वर्षीया निशानेबाज अवनि ने असाधारण कौशल और साहस का प्रदर्शन करते हुए 249.6 का कुल स्कोर हासिल किया, जिससे न केवल उन्हें स्वर्ण पदक मिला बल्कि उन्होंने एक नया एशियाई पैरा गेम्स रिकॉर्ड भी बनाया।

दरअसल, महिलाओं की 10 मीटर एआर स्टैंड एसएच1 स्पर्धा बेहद प्रतिस्पर्धी थी, जिसमें दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पैरा-निशानेबाज सर्वोच्चता के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही थीं। चीन की झोंग यिक्सिन 247.5 के कुल स्कोर के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। एक अन्य चीनी एथलीट झांग कुइपिंग ने 225.8 के स्कोर के साथ कांस्य पदक हासिल किया।

प्रणव की अगुआई में भारत ने पुरुषों की क्लब थ्रो एफ51 स्पर्धा के तीनों पदक जीते

उधर भारत के प्रणव सूरमा ने एथलेटिक्स प्रतियोगिता के शुरुआती दिन पुरुषों की क्लब थ्रो एफ51 स्पर्धा में स्वर्ण जीता। इस स्पर्धा का रजत और कांस्य पदक भी भारतीय खिलाड़ियों के नाम रहा। सूरमा ने 30.01 मीटर के प्रयास के साथ एशियाई पैरा खेलों का नया रिकॉर्ड कायम करते हुए स्वर्ण पदक जीता जबकि धरमबीर (28.76 मीटर) और अमित कुमार (26.93 मीटर) क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। इस स्पर्धा में केवल चार प्रतियोगी थे, जिसमें सऊदी अरब के राधी अली अलार्थी 23.77 मीटर के थ्रो के साथ अंतिम स्थान पर रहे।

सूरमा 16 साल की उम्र में दुर्घटना का शिकार हुए थे, जिसमें उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई। वह इससे लकवाग्रस्त हो गए। इसके बाद पैरा खेलों में हाथ आजमाने का फैसला किया। 29 वर्ष के इस एथलीट ने 2019 बीजिंग विश्व पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री स्पर्धा में रजत पदक जीता था। एफ51 क्लब थ्रो स्पर्धा उन एथलीटों के लिए है, जिनकी कमर के आस-पास, पैर और हाथों की गतिविधि काफी हद तक प्रभावित रहती है। इसमें प्रतियोगी बैठकर प्रतिस्पर्धा करते हैं और कंधों तथा बांह के ताकत पर निर्भर रहते हैं।

पुरुषों की ऊंची कूद टी63 श्रेणी में भारत को स्वर्ण और रजत

पुरुषों की ऊंची कूद टी63 श्रेणी में भी भारतीय के तीन खिलाड़ी शीर्ष तीन स्थान पर रहे, लेकिन एशियाई पैरालंपिक समिति (एपीसी) नियमों के तहत इस स्पर्धा में केवल स्वर्ण और रजत प्रदान किए गए। इस स्पर्धा में सिर्फ तीन भारतीयों ने ही चुनौती पेश की थी।

एपीसी के ‘माइनस वन नियम’ के तहत, शैलेश कुमार ने एशियाई पैरा गेम्स में 1.82 मीटर की रिकॉर्ड छलांग के साथ स्वर्ण पदक जीता जबकि मरियप्पन थंगावेलु (1.80 मीटर) ने रजत पदक जीता। एपीसी नियमों के तहत गोविंदभाई रामसिंगभाई पाधियार (1.78 मीटर) कांस्य नहीं जीत सकते।

तीनों पदक जीतने के लिए कम से कम चार एथलीटों का मैदान में होना जरूरी है। थंगावेलु ने 2016 रियो पैरालंपिक में ऊंची कूद टी42 श्रेणी में स्वर्ण पदक और तोक्यो पैरालंपिक में टी63 में रजत पदक जीता था। टी63 वर्ग में एथलीट घुटने के ऊपर एक पैर में विकार के कारण कृत्रिम अंग के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं।

निषाद कुमार ने पुरुषों की ऊंची कूद टी47 वर्ग में स्वर्ण जीता

निषाद कुमार ने पुरुषों की ऊंची कूद टी47 वर्ग में 2.02 मीटर के प्रयास के साथ भारत के लिए दिन का तीसरा स्वर्ण पदक जीता। इस स्पर्धा में हमवतन राम पाल ने 1.94 मीटर के प्रयास के साथ रजत पदक जीता। टी47 वर्गीकरण कोहनी या कलाई के नीचे के अंग में विकार वाले खिलाड़ियों के लिए है।

मोनू घनगास ने पुरुषों की गोला फेंक एफ11 स्पर्धा में 12.33 मीटर के प्रयास के साथ कांस्य पदक जीता। महिलाओं की कैनो वीएल2 स्पर्धा में प्राची यादव ने 1:03.147 के समय के साथ रजत पदक हासिल किया।

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