नई दिल्ली, 27 अगस्त। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मासांत मुंबई में प्रस्तावित विपक्षी गठबंधन INDIA की तीसरी बैठक से पहले यह एलान कर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी 2024 के लोकसभी चुनाव में कांग्रेस पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं।
जनता के दबाव से उपजा विपक्षी दलों का गठबंधन
गहलोत ने मीडिया ग्रुप ‘इंडिया टुडे’ के साथ बातचीत में यह दावा किया है कि यह फैसला सभी दलों ने चर्चा और विचार-विमर्श के बाद किया गया है। विपक्षी गठबंधन INDIA की आवश्यकता के बारे में उन्होंने कहा, ‘जनता ने ऐसा दबाव बनाया, जिसके परिणामस्वरूप सभी विपक्षी दलों का गठबंधन हुआ है।’
सीएम गहलोत ने कहा, ‘पीएम मोदी को अहंकारी नहीं होना चाहिए, क्योंकि 2014 में भाजपा केवल 31% वोटों के साथ सत्ता में आई थी। बाकी 69% वोट उनके खिलाफ थे।’ उन्होंने कहा कि पिछले माह बेंगलुरु में इंडिया गठबंधन की बैठक होने के बाद से एनडीए डरा हुआ है।
‘2024 के चुनाव के नतीजे तय करेंगे कि प्रधानमंत्री कौन बनेगा‘
अशोक गहलोत से जब भाजपा के उन दावों के बारे में पूछा गया कि एनडीए 2024 के चुनाव में 50% वोटों के साथ सत्ता में आने के लिए काम कर रहा है तो उन्होंने कहा, ‘पीएम मोदी कभी भी इसे हासिल नहीं कर पाएंगे। जब मोदी अपनी लोकप्रियता के चरम पर थे, तो वह ऐसा कर सकते थे। उनका वोट शेयर घट जाएगा और 2024 के चुनाव के नतीजे तय करेंगे कि प्रधानमंत्री कौन बनेगा।’
नरेंद्र मोदी 2014 में कांग्रेस की वजह से प्रधानमंत्री बने
गहलोत ने यह भी दावा किया कि नरेंद्र मोदी 2014 में कांग्रेस की वजह से प्रधानमंत्री बने। उन्होंने पीएम मोदी की बोलने की शैली की आलोचना करते हुए कहा कि लोकतंत्र में भविष्य के बारे में भविष्यवाणी करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा, ‘यह निर्णय लोगों को करना चाहिए। सभी को उनकी पसंद का सम्मान करना चाहिए। पीएम मोदी ने कई वादे किए, लेकिन जनता जानती है कि उनका क्या हुआ।’
नेहरू और इंदिरा गांधी को चंद्रयान-3 की सफलता का श्रेय
सीएम गहलोत ने चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्रियों – जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी को दिया। उन्होंने कहा, ‘चंद्रयान-3 की सफलता में भी नेहरू का योगदान अहम है और मौजूदा उपलब्धियां इंदिरा गांधी और नेहरू की कड़ी मेहनत का नतीजा हैं।’
उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना इसलिए की गई क्योंकि नेहरू ने वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का सुझाव सुना था। उन्होंने कहा कि उस समय अंतरिक्ष केंद्र का नाम कुछ और था, लेकिन इंदिरा गांधी के सत्ता में आने के बाद इसे बदलकर इसरो कर दिया गया।