मुंबई, 27 अक्टूबर। मुंबई क्रूज ड्रग्स केस में फंसे बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की जमानत बुधवार को भी नहीं हो सकी। बॉम्बे हाई कोर्ट में लगातार दूसरे दिन जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, लेकिन अधूरी रही। अब गुरुवार को ढाई बजे के बाद कोर्ट में फिर सुनवाई शुरू होगी। सुनवाई टलने के कारण आर्यन को ऑर्थर रोड जेल में ही रहना पड़ेगा।
अधिवक्ताद्वय अमित देसाई और मुकुल रोहतगी ने बुधवार को हाई कोर्ट में जमानत के पक्ष में न्यायमूर्ति सांब्रे के सामने अपनी दलीलें पेश कीं। अरबाज मर्चेंट का केस लड़ रहे वकील अमित देसाई ने अपने दलीलों की शुरुआत आर्यन खान की जमानत के पक्ष को रखते हुए शुरू किया था। उनके साथ आर्यन के वकील मुकुल रोहतगी ने भी एनसीबी द्वारा आर्यन की गिरफ्तारी के आधार पर बात रखी।
देसाई की दलील – गिरफ्तारी उस अपराध के लिए हुई, जो हुई ही नहीं
अमित देसाई ने कोर्ट से कहा – आप आर्यन खान का अरेस्ट मेमो देखिए। एनसीबी के पास गिरफ्तारी के लिए ठोस सबूत नहीं है। गिरफ्तारी उस अपराध के लिए हुई है, जो हुई ही नहीं है। अरबाज से सिर्फ 6 ग्राम चरस मिला था।
ह्वाट्सएप चैट्स का गिरफ्तारी से कोई लेना-देना नहीं
बकौल देसाई, एनसीबी जिस साजिश की बात कर रही है, उसे साबित करने के लिए एनसीबी ने ह्वाट्सएप चैट कोर्ट के सामने पेश किए हैं। इन चैट्स का गिरफ्तारी से कोई लेना-देना नहीं है। 65 B के तहत कोर्ट में एनसीबी के ये सबूत मान्य नहीं है। फोन सीज नहीं किया, लेकिन रिमांड कॉपी में उसका जिक्र किया गया है।
रोहतगी बोले – अरेस्ट मेमो गिरफ्तारी के सही आधार नहीं देता
इस दौरान मुकुल रोहतगी ने भी जमानत पर जोर देते हुए अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा – ‘अरेस्ट मेमो गिरफ्तारी के सही आधार नहीं देता है। आर्टिकल 22, सीआरपीसी के सेक्शन 50 से ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसके तहत किसी भी शख्स को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, जब तक उसे उसकी गिरफ्तारी की वजह की जानकारी ना हो और फिर उस शख्स को अपने अनुसार वकील से सलाह लेने का भी अधिकार है।’