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पाकिस्तान : एपीएमएल ने पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के निधन की खबरों का किया खंडन

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दुबई, 10 जून। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल (रिटायर्ड) परवेज मुशर्रफ द्वारा स्थापित राजनीतिक दल ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एपीएमएल) ने शुक्रवार को उनके निधन की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया।

इसके पूर्व मीडिया में खबरें प्रसारित की गईं कि वर्ष 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे परवेज मुशर्रफ का निधन हो गया है। खबरों में कहा गया था कि लंबे समय से बीमार चल रहे मुशर्रफ का दुबई में इलाज चल रहा था।

एपीएमएल के अनुसार ने कहा कि उनकी मृत्यु के बारे में प्रसारित समाचार सही नहीं है। पार्टी की ओर से बताया गया कि पूर्व सैन्य शासक को तीन सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद उनके आवास पर वापस ले जाया गया। पार्टी ने उनकी गंभीर स्थिति या वेंटिलेटर पर होने से संबंधित खबरों का भी खंडन किया और जनता से उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करने के लिए कहा।

मुशर्रफर की हालत स्थिर, घर पर चल रहा इलाज

पार्टी ने कहा कि मुशर्रफ का उनके घर पर अमाइलॉइडोसिस का इलाज चल रहा है और उनकी हालत स्थिर है। अमाइलॉइडोसिस एक ऐसी स्थिति है, जो अंगों और ऊतकों में एक असामान्य प्रोटीन के निर्माण के कारण होती है, जो उन्हें ठीक से काम करने से रोकती है।

पारिवारिक सूत्रों ने कहा – सेहत में हो रहा सुधार

इस बीच, मुशर्रफ के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि उनकी सेहत में सुधार हो रहा है। गौरतलब है कि जनरल मुशर्रफ पिछले कई वर्ष से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में रह रहे हैं।

अक्तूबर, 1999 में सैन्य विद्रोह कर पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज हुए थे मुशर्रफ

गौरतलब है कि देश के पूर्व सैन्य प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ अक्तूबर, 1999 में सैन्य विद्रोह कर पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज हुए थे। मुशर्रफ पर संविधान का उल्लंघन कर वर्ष 2007 में आपातकाल घोषित करने के लिए राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाया गया था। उन्होंने देश में आपातकाल घोषित कर संविधान को निलंबित कर दिया था।

इस्लामाबाद की विशेष न्यायालय ने 31 मार्च, 2014 को देशद्रोह के एक मामले में जनरल (रिटायर्ड) परवेज मुशर्रफ को अभियुक्त बनाया था। वह पाकिस्तान के इतिहास में पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिनके विरुद्ध संविधान की अवहेलना का मुकदमा चला। वर्ष 2013 के चुनावों में जीत के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) सरकार में आई, तब मुशर्रफ के खिलाफ संविधान की अवहेलना का मुकदमा दायर किया गया था।