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पश्चिम बंगाल विधानसभा में ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक’ पेश : दुष्कर्म की सजा होगी मौत

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कोलकाता, 3 सितम्बर। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में आज महिला सुरक्षा पर एक बिल पेश किया। ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक’ के तहत बलात्कार पीड़िता की मौत होने की सूरत में दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है। मौजूदा कानूनों में बदलाव के बाद इस बिल को पेश किया गया।

दरअसल, राज्य की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल एंड हॉस्पिटल में पिछले माह प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर मामले को लेकर ममता सरकार बैकफुट पर है। उस घटना के बाद सीएम ममता ने एलान किया था कि वह दुष्कर्म को लेकर कानून बनाएंगी। इसे लेकर उन्होंने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का भी एलान करते हुए कहा था कि वह भी चाहती हैं कि पीड़िता को जल्द से जल्द न्याय मिले। इस बीच भाजपा ने विधानसभा में पेश किए गए इस बिल को लेकर अपनी सहमति व्यक्त की है।

अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक की बड़ी बातें

नए कानून के जरिए 21 दिनों में न्याय सुनिश्चित होगा

इस बिल की ये तीन बड़ी बातें हैं, जिसे केंद्र सरकार के कानून में संशोधन के बाद पेश किया गया है। केंद्र सरकार का दुष्कर्म को लेकर जो कानून है, उसमें पूरी तरह से बदलाव नहीं किया जाएगा। लेकिन इस नए कानून के जरिए 21 दिनों में न्याय सुनिश्चित होगा। यदि 21 दिनों में फैसला नहीं आ पाता है तो पुलिस अधीक्षक की इजाजत से 15 दिन और मिल जाएंगे। यह समवर्ती सूची में है और हर राज्य को संशोधन करने का अधिकार है।

कानून बनाने के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा बिल

विधानसभा से बिल पास होने के बाद राज्यपाल के पास भेजा जाएगा, जिनके हस्ताक्षर के बाद ये कानून का रूप लेगा। इस बात की उम्मीद है कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस को बिल को साइन करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। राज्य का कानून राज्यपाल की मंजूरी से ही बनता है। यदि राज्यपाल की राय इस बिल को कानून में तब्दील करने को लेकर नहीं बन पाती है तो वह इसे राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं। हालांकि, राज्यपाल से मंजूरी लेना ही इसे राज्य में कानून बनाने के लिए पर्याप्त है।

अभिषेक बनर्जी बोले – दुष्कर्म पर नया कानून लाए केंद्र सरकार

टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने मांग की है कि पश्चिम बंगाल सरकार की तर्ज पर केंद्र सरकार भी दुष्कर्म पर कड़ा कानून बनाए और उसे अगले सत्र में पेश किया जाए। उन्होंने कहा, ‘हर 15 मिनट में एक दुष्कर्म होने के भयावह आंकड़े को देखते हुए, एक व्यापक दुष्कर्म विरोधी कानून की मांग पहले से कहीं ज्यादा उठ रही है। बंगाल अपने दुष्कर्म विरोधी विधेयक के मामले में सबसे आगे है। केंद्र सरकार को अब निर्णायक काररवाई करनी चाहिए, चाहे अध्यादेश द्वारा या आगामी संसद सत्र में बीएनएसएस संशोधन द्वारा यह सुनिश्चित होना चाहिए कि न्याय जल्दी मिले और सजा गंभीर हो। आरोपी का ट्रायल और दोषसिद्धि 50 दिनों में समाप्त होनी चाहिए।’