बड़ोदरा, 31 जुलाई। गुजरे जमाने के महान भारतीय क्रिकेटर अंशुमान गायकवाड़ का बुधवार की रात निधन हो गया। ब्लड कैंसर से पीड़ित 71 वर्षीय गायकवाड़ का लंदन के किंग्स कॉलेज अस्पताल में इलाज चल रहा था और अपना इलाज जारी रखने के लिए एक महीने पहले ही वह बड़ौदा लौटे थे। वह कुछ समय तक विभिन्न स्वास्थ्य जटिलताओं के कारण आईसीयू में भी भर्ती रहे।
बीसीसीआई ने उनके इलाज के लिए एक करोड़ रुपये की राशि जारी की थी
गौरतलब है कि इस माह की शुरुआत में ही पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव सहित अन्य समकालीन क्रिकेटरों की अपील पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने गायकवाड़ के इलाज के लिए एक करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी की थी। वहीं कपिल सहित 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्यों ने भी अपने साथी क्रिकेटर की मदद की थी। लेकिन दिग्गज क्रिकेटर को बचाया नहीं जा सका।
पीएम मोदी बोले – गायकवाड़ एक गिफ्टेड खिलाड़ी थे
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व सलामी बल्लेबाज व टीम इंडिया के पूर्व कोच गायकवाड़ के निधन पर शोक जताया है। पीएम मोदी ने X पर एक पोस्ट में दुख जताते हुए कहा – अंशुमान गायकवाड़ को क्रिकेट में उनके योगदान के लिए याद किया जाएगा। वह एक गिफ्टेड खिलाड़ी और एक बेहतरीन कोच थे। उनके निधन से बहुत दुख हुआ। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं हैं।’
Shri Anshuman Gaekwad Ji will be remembered for his contribution to cricket. He was a gifted player and an outstanding coach. Pained by his demise. Condolences to his family and admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 31, 2024
वहीं, BCCI सचिव जय शाह ने गायकवाड़ को श्रद्धांजलि देते हुए X पर पोस्ट में लिखा – ‘अंशुमान गायकवाड़ के परिवार और मित्रों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। पूरे क्रिकेट जगत के लिए यह दुखद घटना है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।’
My deepest condolences to the family and friends of Mr Aunshuman Gaekwad. Heartbreaking for the entire cricket fraternity. May his soul rest in peace🙏
— Jay Shah (@JayShah) July 31, 2024
गायकवाड़ ने भारत के लिए 40 टेस्ट और 15 वनडे मैच खेले
मुंबई में जन्मे अंशुमान गायकवाड़ ने 1975 से 1987 के बीच भारत के लिए 40 टेस्ट व 15 वनडे मैच खेले और दो दशकों से अधिक के क्रिकेट करिअर में 205 प्रथम श्रेणी मैचों में भागीदारी की। बल्लेबाज के तौर पर गायकवाड़ ने 70 टेस्ट पारियों में 1985 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर 1982-83 में पाकिस्तान के खिलाफ 201 रन था। उन्होंने 671 मिनट तक धैर्यपूर्वक बल्लेबाजी की थी। उस समय वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सबसे धीमा दोहरा शतक था।
मैच के दौरान फट गया था कान का परदा
गायकवाड़ ने जमैका में वेस्टइंडीज की उस टीम के खिलाफ 81 रनों की पारी खेली थी, जिसमें माइकल होल्डिंग जैसे गेंदबाज शामिल थे। यह उपलब्धि इस तथ्य से दोगुनी प्रभावशाली हो गई कि उनकी यह पारी उस दौर में आई थी, जब न तो हेलमेट थे और न ही बाउंसर पर कोई प्रतिबंध था। होल्डिंग की बाउंसर से कान पर चोट लगने के बाद अंशुमान गायकवाड़ को ऑपरेशन करवाना पड़ा था। इससे उनके कान का परदा फट गया था। उन्होंने अपने अंतिम प्रथम श्रेणी मैच में शतक लगाकर अपने खेल करिअर का शानदार समापन किया था।
दो बार रहे भारतीय पुरुष टीम के कोच
सक्रिय क्रिकेट छोड़ने के बाद अंशुमान गायकवाड़ चयनकर्ता बने और बाद में राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच भी बने। गायकवाड़ ने 1997 से 2000 के बीच भारत के कोच के रूप में दो अलग-अलग कार्यकाल बिताए। उन्होंने पहली बार सचिन तेंदुलकर के दौर में पदभार संभाला था, जहां उन्होंने बदलाव के दौर की देखरेख की थी और बाद में मैच फिक्सिंग की घटना के बीच में लौटे, जब कपिल देव ने थोड़े समय के लिए इस्तीफा दे दिया था और एक स्थायी नियुक्ति को अंतिम रूप दिया जा रहा था।
बतौर कोच उनके कार्यकाल में टीम इंडिया ने अर्जित कीं कई उपलब्धियां
बतौर कोच उनके कार्यकाल के दौरान भारत के उच्च बिंदुओं में फ्रीडम कप की जीत, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2-1 की घरेलू सीरीज की जीत, अनिल कुंबले द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में 10 विकेट की जीत और न्यूजीलैंड में एकदिवसीय श्रृंखला ड्रॉ करना शामिल था। वह तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष एसी मुथैया के अनुरोध पर लौटे ताकि 2000 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में टीम को ले जा सकें, जहां टीम फाइनल में न्यूजीलैंड से हार गई थी।
2018 में बीसीसीआई ने लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया था
गायकवाड़ ने गुजरात राज्य उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (GSFC) के लिए भी काम किया और 2000 में इस कम्पनी से सेवानिवृत्ति ले ली थी। जून, 2018 में BCCI ने गायकवाड़ को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया था। अंशुमान गायकवाड़ के पिता दत्ता गायकवाड़ ने भी टेस्ट क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।