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पूर्वोत्तर में अमित शाह का एक और मास्टर स्ट्रोक – असम के 8 आदिवासी विद्रोही समूहों के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर

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नई दिल्ली, 15 सितम्बर। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र सरकार, असम सरकार और आठ आदिवासी विद्रोही समूहों के प्रतिनिधियों के बीच ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए। समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले आठ समूहों में बीसीएफ, एसीएमए, एएएनएलए, एपीए, एसटीएफ, एएएनएलए (एफजी), बीसीएफ (बीटी) और एसीएमए (एफजी) शामिल हैं। इस समझौते से असम में आदिवासियों और चाय बागान श्रमिकों की दशकों पुरानी समस्या समाप्त हो जाएगी।

यह समझौता भी पूर्वोत्तर को उग्रवाद मुक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा

गृह मंत्री अमित शाह ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शांतिपूर्ण और समृद्ध उत्तर पूर्व के विजन के अनुसार यह समझौता 2025 तक पूर्वोत्तर को उग्रवाद मुक्त बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। आज के इस समझौते के बाद असम के आदिवासी समूहों के 1182 कैडर हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हो गए।

2014 से अब तक 8,000 उग्रवादी हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में शामिल

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पूर्वोत्तर में शांति और समृद्धि के लिए उठाए गए अनेक कदमों के प्रति विश्वास व्यक्त करते हुए 2014 से अब तक लगभग 8,000 उग्रवादी हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। केंद्र सरकार ने तय किया है कि 2024 से पहले पूर्वोत्तर के राज्यों के बीच सीमा विवादों और सशस्त्र गुटों से संबंधित सभी विवादों को हल कर लिया जाएगा।

सरकार ने अब तक किए गए सभी समझौतों के 93 प्रतिशत काम पूरे किए

शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर की अद्भुत संस्कृति का संवर्धन और विकास करने, सभी विवादों का निपटारा कर चिरकालीन शांति स्थापित करने और पूर्वोत्तर में विकास को गति देकर देश के अन्य हिस्सों के समान विकसित बनाने का फैसला किया है। सरकार का यह रिकॉर्ड है कि उसने अब तक किए गए सभी समझौतों के 93 प्रतिशत काम पूरे किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप असम सहित पूरे पूर्वोत्तर में शांति बहाल हुई है।

गृह मंत्री ने कहा कि इस समझौते में आदिवासी समूहों की राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षणिक आकांक्षाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी केंद्र और असम सरकार की है। समझौते में आदिवासी समूहों की सामाजिक, सांस्कृतिक, जातीय और भाषाई पहचान को सुरक्षित रखने के साथ-साथ उसे और अधिक मजबूत बनाने का भी प्रावधान किया गया है।

आदिवासी बहुल क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 5 वर्षों में देंगे 1000 करोड़

समझौते में चाय बागानों का त्वरित और केंद्रित विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक आदिवासी कल्याण और विकास परिषद की स्थापना करने और सशस्त्र कैडरों के पुनर्वास व पुनर्स्थापन और चाय बागान श्रमिकों के कल्याण के उपाय करने का भी प्रावधान है। आदिवासी आबादी वाले गांवों एवं क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पांच साल की अवधि में 1000 करोड़ रुपये (केंद्र सरकार और असम सरकार प्रत्येक द्वारा 500 करोड़ रुपये) का विशेष विकास पैकेज प्रदान किया जाएगा।

त्रिपक्षीय समझौते के अवसर पर असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली, लोकसभा सांसद पल्लब लोचन दास, राज्यसभा सांसद कामाख्या प्रसाद तासा, असम सरकार में मंत्री संजय किशन, असम के आठ आदिवासी समूहों के प्रतिनिधि और केंद्रीय गृह मंत्रालय और असम सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

असम के मुख्‍यमंत्री हिमंत बिस्‍वा सरमा ने कहा कि यह महत्‍वपूर्ण दिन है क्‍योंकि यह समझौता हिंसा का रास्‍ता छोड़ने वाले लोगों के लिए सामाजिक न्‍याय और राजनीतिक अधिकार उपलब्‍ध कराएगा। उन्‍होंने कहा कि यह समझौता इन लोगों का कल्‍याण भी सुनिश्चित करेगा और उन्‍हें मुख्‍य धारा में शामिल करेगा।

शाह की ही पहल पर 2020 में बोडो शांति समझौता हुआ था

उल्लेखनीय है कि अमित शाह की पहल पर ही इससे पूर्व वर्ष 2020 में बोडो शांति समझौता हुआ था, जिसमें सभी बोडो विद्रोही संगठन हिस्सा लेते हुए मुख्यधारा में लौट आए थे। इसी तरह 2021 में अमित शाह की अध्यक्षता में असम के पांच विद्रोही समूहों के साथ कार्बी शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे।

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