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कांग्रेस को एक और बड़ा झटका – आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश संचालन समिति के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

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नई दिल्ली, 21 अगस्त। कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनकी पार्टी को एक हफ्ते के भीतर दूसरा बड़ा झटका लगा, जब पूर्व केंद्रीय मंत्री व पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कांग्रेस की हिमाचल प्रदेश इकाई की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। गत 16 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने केंद्रशासित प्रदेश में पार्टी की प्रचार समिति का अध्यक्ष पद नियुक्ति के कुछ घंटे बाद ही ठुकरा दिया था।

आनंद शर्मा और गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के प्रमुख सदस्य

उल्लेखनीय है कि गुलाम नबी आजाद की भांति आनंद शर्मा को भी राज्यसभा से सेवानिवृत्त होने के बाद दोबारा उच्च सदन में नहीं भेजा गया था। आनंद शर्मा और गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के प्रमुख सदस्य हैं।

सोनिया गांधी को लिखे पत्र में आनंद शर्मा बोले – स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में भी इसी वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले आनंद शर्मा के इस कदम को कांग्रेस के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार शर्मा ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा है कि उनके स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से कहा है कि परामर्श प्रक्रिया में उनकी अनदेखी की गई है। हालांकि, उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वह राज्य में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करना जारी रखेंगे।

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता शर्मा को 26 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में पार्टी की संचालन समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। आजाद और शर्मा, दोनों ही ‘जी23’ समूह के प्रमुख नेता हैं, जो पार्टी नेतृत्व के फैसलों की आलोचना करने से नहीं चूकते।

असंतुष्ट समूह सही तरीके से चुनाव कराने पर जोर दे रहा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मनीष तिवारी सहित कई अन्य दिग्गज नेताओं वाला यह समूह ब्लॉक से लेकर केंद्रीय कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) स्तर तक सही तरीके से चुनाव कराने पर जोर दे रहा है। हिमाचल प्रदेश के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शुमार शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष को भेजे अपने पत्र में कथित तौर पर कहा है कि उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंची है क्योंकि उनसे पार्टी की किसी भी बैठक के लिए परामर्श नहीं किया गया और न ही उन्हें उनमें आमंत्रित किया गया।

आनंद शर्मा ने पहली बार 1982 में विधानसभा चुनाव लड़ा था। 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें राज्यसभा भेजा था। वह तभी से राज्यसभा सदस्य हैं और पार्टी में कई प्रमुख पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

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