नई दिल्ली/हरिद्वार, 14 जुलाई। श्रावण मास की पारंपरिक वार्षिक कांवड़ यात्रा दो वर्षों के अंतराल के बाद गुरुवार से शुरू हो गई है। पिछले दो वर्षों के दौरान कोविड महामारी के कारण यात्रा नहीं हो सकी थी। इस वर्ष लगभग तीन से चार करोड श्रद्धालुओं के इस यात्रा में शामिल होने की आशा है।
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकारों ने किए व्यापक प्रबंध
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकारों ने श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या को व्यवस्थित करने के व्यापक प्रबंध किए हैं। उत्तर प्रदेश में कांवड यात्रा, मेरठ, सहारानपुर, गाजियाबाद, शामली और बागपत जिलों से होकर गुजरेगी और इस महीने की 26 तारीख तक चलेगी। श्रद्धालु हरिद्वार, गोमुख और गंगोत्री से जल लेकर शिव मंदिरों में चढ़ाएंगे।
कांवड़ यात्रा में शामिल अधिकतर श्रद्धालु पैदल ही यात्रा पूरी करते हैं। लेकिन असमर्थ श्रद्धालु लंबी दूरी के लिए वाहनों का भी उपयोग करते हैं। अनेक गैर-सरकारी संगठनों ने यात्रा मार्ग के विभिन्न स्थलों पर कांवडियों की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए हैं।
हरिद्वार में कांवड़ियों की वेशभूषा में ड्यूटी देंगे पुलिसकर्मी
उधर हरिद्वार में यात्रा को लेकर पुलिस और प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। हरकी पैड़ी से लेकर कांवड़ रूट पर चप्पे-चप्पे पर पुलिस और सीसी कैमरों की निगरानी रहेगी। कांवड़ियों की वेशभूषा में भीड़ में रहकर पुलिसकर्मी व्यवस्थाएं संभालेंगे। शरारती तत्वों की ओर से किसी भी तरह की अफवाह फैलाने पर कड़ी काररवाई की जाएगी।
इसके पूर्व बुधवार की शाम अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था वी. मुरुगेशन ने रोशनाबाद स्थित पुलिस लाइन सभागार में कांवड़ ड्यूटी के पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की ब्रीफिंग की। उन्होंने कहा कि श्रावण कांवड़ मेला सकुशल संपन्न कराना बड़ी चुनौती है।
मुरुगेशन ने कहा कि कोविड महामारी के कारण दो वर्षों से कांवड़ मेला न होने के कारण इस बार बहुत अधिक संख्या में कांवड़ियों का आवागमन होगा। उन्होंने कहा कि ड्यूटी में उपस्थित सभी पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारी एवं कर्मचारी समन्वय बनाते हुए कांवड़ मेला संपन्न कराएं।