नई दिल्ली, 22 मार्च। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राहुल गांधी जहां भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान जाति जनगणना की वकालत करते रहे हैं, वहीं कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य आनंद शर्मा ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर जाति जनगणना कराने के लिए पार्टी के आक्रामक अभियान पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शर्मा ने पत्र में लिखा है कि पार्टी कभी भी पहचान की राजनीति में शामिल नहीं हुई और न ही इसका समर्थन किया है।
उन्होंने अपने पत्र में इंदिरा गांधी हवाला देते हुए कहा है कि 1980 के लोकसभा चुनावों में उनका नारा था “ना जात पर, न पात पर, मोहर लगेगी हाथ पर” और सितंबर 1990 में राजीव गांधी ने लोकसभा में एक चर्चा के दौरान भाषण देते हुए कहा था कि “अगर हमारे देश में जातिवाद को स्थापित करने के लिए जाति को परिभाषित किया जाता है तो हमें समस्या है…।”
आनंद शर्मा का कहना है कि गठबंधन में वे दल भी शामिल हैं जिन्होंने लंबे समय से जाति-आधारित राजनीति की है। हालांकि, सामाजिक न्याय पर कांग्रेस की नीति भारतीय समाज की जटिलताओं की परिपक्व और समझ पर आधारित है। राष्ट्रीय आंदोलन के नेता उन लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध थे जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से भेदभाव का सामना किया था।
जैसा कि संविधान में निहित है कि सकारात्मक कार्रवाई अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का प्रावधान करती है। यह भारतीय संविधान निर्माताओं के सामूहिक ज्ञान को दर्शाता है। दशकों बाद ओ.बी.सी. को एक विशेष श्रेणी के रूप में शामिल किया गया और तदनुसार आरक्षण का लाभ दिया गया।