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मासूमों की मौत के बाद ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप को लेकर अब यूपी में भी अलर्ट जारी, बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक

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लखनऊ, 5 अक्टूबर। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कोल्ड्रिफ (Coldrif) व डेक्सट्रोमेथोरपन हाइड्रोब्रोमाइड कफ सिरप पिलाने से अब तक डेढ़ दर्जन मासूमों की मौत की खबरों के बाद उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा भी सतर्क हो गया है। सहायक आयुक्त औषधि दिनेश कुमार तिवारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी जिलों को चेतावनी जारी की है।

सहायक औषधि आयुक्त के स्तर से रविवार को जारी आदेश में सभी औषधि निरीक्षकों को सम्बंधित बैच की बिक्री रोकने के साथ ही उनके नमूने राज्य औषधि प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजने के निर्देश दिए हैं। दूसरी तरफ योगी सरकार ने भी सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस मामले में किसी भी स्तर पर लापरवाही न बरती जाए और रिपोर्ट आने तक उक्त कफ सिरप का प्रयोग पूर्णतः बंद रखा जाए।

तमिलनाडु, एमपी, केरल व राजस्थान में सिरप पर लग चुका है बैन

उल्लेखनीय है कि कथित तौर पर कोल्ड्रिफ सिरप पिलाने से मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में अब तक 14 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं राजस्थान में जयसहित अन्य जिलों में बच्चों की मौत हुई है। चूंकि कोल्ड्रिफ (Coldrif) दवा की मैन्युफैक्चरिंग तमिलनाडु के कांचीपुरम में हो रही थी। लिहाजा बच्चों की मौत के बाद तमिलनाडु सरकार ने सबसे पहले सिरप के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद केरल, मध्य प्रदेश व राजस्थान में इस सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया।

यूपी में कफ सिरप की जांच के आदेश

इधर लखनऊ से जारी विभागीय आदेश में कहा गया है कि मेसर्स स्रेशन फार्मक्यूटिकल द्वारा खास बैच के कोल्ड्रिफ कफ सिरप में डाईएथिलीन ग्लाइकाल और एथेलिन ग्लाइकाल जैसे विषैले रसायनों की मौजूदगी की आशंका है। ये दोनों रसायन शरीर के लिए बेहद खतरनाक हैं और इनका सेवन जानलेवा साबित हो सकता है।

दिनेश तिवारी ने अपने आदेश में सभी औषधि विक्रेताओं, सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिए हैं कि उक्त बैच के कफ सिरप की बिक्री, वितरण और उपयोग तत्काल रोका जाए। साथ ही दुकानों व अस्पतालों में उपलब्ध स्टॉक का नमूना जांच हेतु लखनऊ स्थित राज्य औषधि प्रयोगशाला में तत्काल भेजा जाए।

उन्होंने औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि सभी स्थानों पर औषधि की उपलब्धता की जांच करें और नमूने एकत्र कर ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज करें। निर्माण प्रयोगशालाओं को भी कफ सिरप में प्रयुक्त प्रोपलीन ग्लाइकाल के नमूनों की जांच करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि लखनऊ प्रयोगशाला से जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद दोषी उत्पादकों और वितरकों पर आवश्यक दंडात्मक काररवाई की जाएगी।

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