अहमदाबाद, 9 जुलाई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि सार्वजनिक जीवन से संन्यास लेने के बाद वह खेती-किसानी के अलावा वेदों और उपनिषदों सहित हिन्दू धर्मग्रंथों के अध्ययन में पर्याप्त समय देंगे। दरअसल, शाह यहां ‘सहकार संवाद’ कार्यक्रम को बोल रहे थे, उसी दौरान उन्होने अपने रिटायरमेंट प्लान के बारे में जानकारी दी।
गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सहकारिता क्षेत्र से जुड़ीं माताओं-बहनों व अन्य सहकारी कार्यकर्ताओं के साथ ‘सहकार-संवाद’…#SahkarSamvaad https://t.co/ZAb9RrcTYQ
— Amit Shah (@AmitShah) July 9, 2025
केमिकल फर्टिलाइजर से कई बीमारियां
गृह मंत्री ने कहा, ‘केमिकल फर्टिलाइजर से उगाए गए गेहूं से कई स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, जिनमें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थायरॉइड जैसी लाइफस्टाइल संबंधी कई समस्याएं शामिल हैं। इसके अलावा इससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी होती हैं। प्राकृतिक खेती न केवल शरीर को रोगमुक्त बनाने में मदद करती है बल्कि दवाओं पर निर्भरता भी कम करती है।’
वजन कम करने में सकारात्मक आदतें सहायक
उन्होंने यह भी कहा कि प्राकृतिक खेती से एग्रीकल्चर प्रोडक्टिविटी भी बढ़ती है। उन्होंने अपने खेत में कृषि उपज में डेढ़ गुना वृद्धि दर्ज करने का अपना अनुभव भी साझा किया। उन्होंने साथ ही अपना वजन कम करने का सफर साझा किया और बताया कि कैसे सकारात्मक आदतों से उनके स्वास्थ्य में बड़ा बदलाव आया, इनमें सही मात्रा में भोजन और पानी, व्यायाम और पर्याप्त नींद शामिल है।
PACS के सदस्य बनकर, डेयरी समितियों से जुड़कर, ऋण समितियाँ बनाकर, रोजगार पाकर और कंप्यूटर व डिजिटल शक्ति से संपन्न होकर सुदूर गाँवों की महिलाओं के चेहरे पर जब आत्मसम्मान की मुस्कान आती है, तब सहकारिता का असल महत्त्व पता चलता है।#SahkarSamvaad pic.twitter.com/4uOsI4GOmL
— Amit Shah (@AmitShah) July 9, 2025
एलोपैथिक दवाओं से छुटकारा
विश्व लिवर दिवस पर उन्होंने कहा, ‘मई, 2019 से अब तक मैंने बहुत बड़ा बदलाव हासिल किया है। सही मात्रा में नींद, शुद्ध पानी, भोजन और व्यायाम करके, मैंने जीवन में बहुत कुछ हासिल किया है। पिछले साढ़े चार सालों में मैं एलोपैथिक दवाओं से छुटकारा पा चुका हूं।’
दो घंटे शारीरिक व्यायाम का किया आग्रह
उन्होंने युवाओं से अच्छे स्वास्थ्य के लिए दो घंटे शारीरिक व्यायाम और छह घंटे की नींद लेने का आग्रह किया और कहा कि उनके पास जीने के लिए और देश की प्रगति में योगदान देने के लिए 40-50 साल हैं।

