नई दिल्ली, 9 अगस्त। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के मॉनसून सत्र में विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बुधवार को लोकसभा में मणिपुर मामले पर जवाब देते हुए कहा कि वह पहले दिन से ही मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार थे, लेकिन विपक्ष कभी चर्चा नहीं करना चाहता था।
गृह मंत्री शाह ने कहा, ‘विपक्ष नहीं चाहता कि मैं बोलूं, लेकिन वे मुझे चुप नहीं करा सकते। 130 करोड़ लोगों ने हमें चुना है, इसलिए उन्हें हमारी बात सुननी होगी। हमारी सरकार के पिछले छह वर्षों के दौरान, वहां कर्फ्यू की आवश्यकता कभी नहीं पड़ी।’
हिंसा की शुरुआत होने के अगले दिन से केंद्र का सहयोग कर रहे बीरेन सिंह
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के सवाल पर अमित शाह ने कहा कि राज्य में हिंसा की शुरुआत होने के अगले दिन से ही सीएम केंद्र के साथ सहयोग कर रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री को हटाने या सरकार बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लगाने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता।
मणिपुर की घटनाओं पर राजनीति करना शर्मनाक
अमित शाह ने कहा कि तीन मई को जब हिंसा की शुरुआत हुई, उसके तुरंत बाद ही केंद्र ने वहां के डीजीपी को बदल दिया। केंद्रीय बलों की तैनाती की और एक सुरक्षा अधिकारी को वहां भेजा, जो सभी बलों के साथ तालमेल करते हुए वहां स्थिति को नियंत्रण मे लाने के अभियान का नेतृत्व कर रहा है। मणिपुर में 36000 से ज्यादा सुरक्षा बल तैनात हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं मानता हूं कि मणिपुर में हिंसा की घटनाएं हुई हैं। ऐसी घटनाओं का कोई भी समर्थन नहीं कर सकता। लेकिन इन घटनाओं पर राजनीति करना शर्मनाक है।’
शाह ने इसके अलावा वामपंथी उग्रवाद और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भी बात की। आतंकवाद और नक्सलवाद पर अंकुश लगाने के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सली अब सिर्फ तीन जिलों तक ही सीमित रह गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘यूपीए की सरकारों के दौरान जहां सरहद पार से घुसपैठ आम बात थी, कोई भी कहीं से भी देश में घुस कर आतंक की काररवाई करता था। मोदी सरकार के नेतृत्व में, हमारी जमीन पर आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तान को कीमत चुकाने के लिए मजबूर किया गया। ये संभव सिर्फ मोदी सरकार में ही संभव हुआ।’