नई दिल्ली, 20 जून। केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गेहूं की कीमतों पर कड़ी नजर रखने का निर्देश देने के साथ ही कहा है और देश के उपभोक्ताओं के लिए मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त नीतिगत हस्तक्षेप किए जाएं।
अमित शाह ने आज अपनी अध्यक्षता में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों की समीक्षा के लिए मंत्रियों की समिति की बैठक में ये निर्देश दिए। हालांकि बैठक में बताया गया कि बाजार हस्तक्षेप के लिए देश में गेहूं का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है।
18 जून तक लगभग 266 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि बैठक में गेहूं के स्टाक और मूल्यों की स्थिति पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। आरएमएस 2024 में 18 जून, 2024 तक लगभग 266 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है जबकि आरएमएस 2023 में 262 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी।
बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्य कल्याण योजनाओं के लिए लगभग 184 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवश्यकता होती है। इसे पूरा करने के बाद आवश्यकता पड़ने पर बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए गेहूं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है।
मलावी और जिम्बाब्वे को 2 हजार मीट्रिक टन चावल के निर्यात की अनुमति
इस बीच केंद्र सरकार ने दो अफ्रीकी देशों – मलावी और जिम्बाब्वे को दो हजार मीट्रिक टन गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दी है। अधिसूचना के मुताबिक इन दोनों देशों को एक-एक हजार मीट्रिक टन गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दी गई है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने जारी एक अधिसूचना में बताया कि मलावी और जिम्बाब्वे को दो हजार मीट्रिक टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की मंजूरी दी गई है। अधिसूचना के मुताबिक निर्यात को राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) के माध्यम से अनुमति दी गई है। इसके तहत इन दोनों देशों को एक-एक हजार मीट्रिक टन गैर-बासमती चावल निर्यात की जाएगी।
पिछले वर्ष गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगा था प्रतिबंध
उल्लेखनीय है कि घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और कीमतों पर नियंत्रण के लिए 20 जुलाई, 2023 से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है। लेकिन अनुरोध पर कुछ देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार ने निर्यात की मंजूरी दी है। इससे पहले भारत सरकार ने नेपाल, कैमरून, कोट डी आइवर, गिनी, मलेशिया, फिलीपींस और सेशेल्स जैसे देशों को ऐसे निर्यात की अनुमति दी थी।