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सीएए को लेकर अमित शाह का विपक्ष पर वार, कहा- नागरिकता केंद्र का मुद्दा है

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नई दिल्ली, 14 मार्च। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने से इसके कारण पड़ने वाले असर को भांपते हुए विपक्षी दलों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु ने साफ कर दिया है कि वे इस कानून को अपने राज्यों में लागू नहीं होने देंगे। बढ़ते विरोध को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अब साफ कह दिया है कि सीएए संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता है।

साथ ही केवल केंद्र सरकार को नागरिकता से संबंधित कानून बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार है। अमित शाह ने एक इंटरव्यू में विपक्षी नेताओं पर ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ करने का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि सीएए मोदी सरकार द्वारा लाया गया है। इसे रद्द करना संभव नहीं है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद सभी राजनीतिक दल साथ आएंगे और सहयोग करेंगे।

गृह मंत्री शाह ने सवाल करते हुए कहा, ‘क्या आपके पास अधिकार है कि आप इसके लागू होने से इनकार कर सकते हैं?’ उन्होंने कहा कि यह लोग समझते हैं कि उनके पास अधिकार नहीं है। हमारे संविधान में नागरिकता से संबंधित कानून बनाने का अधिकार केवल संसद को दिया गया है। कानून और उसके लागू करने का अधिकार केंद्र का क्षेत्र है, न कि राज्य का।

उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे संविधान का अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता के संबंध में नियम बनाने की सारी शक्तियां देता है। मुझे लगता है कि चुनाव के बाद हर कोई सहयोग करेगा। वे तुष्टिकरण की राजनीति के लिए दुष्प्रचार कर रहे हैं।’

यह है सीएएनागरिकता संशोधन विधेयक 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। एक दिन बाद ही इस विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति मिल गई थी। सीएए के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता लेने में आसानी होगी। ऐसे अल्पसंख्यक, 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हों।

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