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राजस्थान : सियासी अटकलों के बीच सीएम अशोक गहलोत बोले – ‘मेरा इस्तीफा स्थायी रूप से सोनिया गांधी के पास’

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जयपुर, 23 अप्रैल। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में जारी सियासी अटकलों के बीच कहा है कि उनका इस्तीफा स्थायी रूप से कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास है और वह कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं।

गौरतलब है कि गहलोत के विरोधी खेमे के अगुआई करने वाले सचिन पायलट ने बीते दिनों सोनिया गांधी से मुलाकात की थी, जिसके बाद से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि राजस्थान की सत्ता में बड़ा फेरबदल हो सकता है।

अफवाहों पर ध्यान न दें क्योंकि इससे शासन प्रभावित होता है

इन्हीं कयासबाजियों के बीच सीएम गहलोत ने शनिवार को मीडिया से बाततीच में कहा, ‘मेरा इस्तीफा स्थायी रूप से सोनिया गांधी के पास है। जब कांग्रेस मुख्यमंत्री को बदलने का फैसला करती है, तो किसी को संकेत नहीं मिलेगा। सीएम बदलने के फैसले पर कोई विचार-विमर्श नहीं किया जाएगा। कांग्रेस आलाकमान निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है और मैं सभी से अपील करूंगा कि अफवाहों पर ध्यान न दें क्योंकि इससे शासन प्रभावित होता है।’

एक पखवारे में पार्टी नेतृत्व से दो बार मिल चुके हैं सचिन पायलट

अशोक गहलोत ने कहा कि बीते 2-3 दिन से राजस्थान का मुख्यमंत्री को बदलने की बात चल रही थी। यह सही नहीं है। गहलोत का यह बयान कांग्रेस नेता सचिन पायलट के गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के बाद आया है, जिससे राजस्थान कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। एक पखवारे में पार्टी नेतृत्व के साथ सचिन पायलट की यह दूसरी मुलाकात थी।

इधर, विधानसभा चुनाव 2023 में सीएम उम्मीदवार में संभावित बदलाव पर सचिन पायलट ने कहा था, ‘ठीक यही हम चर्चा कर रहे हैं। सब कुछ शामिल है। अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष करेंगे। जो लोग जमीन पर काम कर रहे हैं, उनकी उचित प्रतिक्रिया देना हमारी जिम्मेदारी है।’

गौरतलब है कि सचिन पायलट ने जुलाई, 2020 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी सरकार के खिलाफ खुलेआम बगावत कर दी थी, जिससे राजस्थान सरकार टूटने की कगार पर जा पहुंची थी। फिलहाल कांग्रेस आला कमान ने तब सचिन पायलट से डिप्टी सीएम और पीसीसी चीफ की कुर्सी छीन ​ली थी। पायलट ने अपना विद्रोह पार्टी नेतृत्व के इस  आश्वासन पर छोड़ दिया था कि विद्रोही नेताओं की शिकायतों को प्रियंका गांधी वाड्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति सुनेगी।

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