वॉशिंगटन, 26 जनवरी। अमेरिकी विदेश विभाग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर उपजे विवाद को प्रेस की स्वतंत्रता का मामला बताते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे लोकतांत्रिक सिद्धांतों के महत्व को उजागर करने और इसे दुनियाभर के साथ-साथ भारत में भी एक बिंदु बनाने का सही समय है।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बुधवार को एक नियमित ब्रीफिंग में रेखांकित किया कि वॉशिंगटन दुनियाभर में स्वतंत्र प्रेस का समर्थन करता है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे लोकतांत्रिक सिद्धांतों को उजागर करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मीडिया के एक सवाल के जवाब में प्राइस ने कहा, ‘हम दुनियाभर में स्वतंत्र प्रेस के महत्व का समर्थन करते हैं।’
नेड प्राइस ने कहा, ‘हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता जैसे लोकतांत्रिक सिद्धांतों के महत्व को मानव अधिकारों के रूप में उजागर करना जारी रखते हैं, जो हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने में योगदान करते हैं। यह एक बिंदु है, जिसे हम दुनियाभर में अपने रिश्तों में बनाते हैं। यह निश्चित रूप से एक बिंदु है, जिसे हमने भारत में भी बनाया है।’
इससे पहले सोमवार एक प्रेस ब्रीफिंग में प्राइस ने कहा था कि ऐसे कई तत्व हैं, जो भारत के साथ अमेरिका की वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करते हैं जिसमें राजनीतिक, आर्थिक और असाधारण रूप से गहरे लोगों से लोगों के संबंध शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘आप जिस वृत्तचित्र का जिक्र कर रहे हैं, मैं उससे परिचित नहीं हूं।’
उन्होंने कहा, ‘मैं उन साझा मूल्यों से बहुत परिचित हूं जो संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत को दो संपन्न, जीवंत लोकतंत्रों के रूप में स्थापित करते हैं। जब हमें भारत में की जाने वाली काररवाइयों के बारे में चिंता होती है, तो हमने उन्हें आवाज दी है कि हमें ऐसा करने का अवसर मिला है।’
बीबीसी ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पीएम मोदी के कार्यकाल को लेकर दो-भाग की श्रृंखला ‘इंडिया : द मोदी क्वश्चेन’ प्रसारित की थी। इसे दिखाने पर भारत सरकार ने पाबंदी लगा दी है।