नई दिल्ली, 21 मार्च। द्वितीय भारत-ऑस्ट्रेलिया वर्चुअल शिखर सम्मेलन में सोमवार को क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन ने चीन के रवैये और यूक्रेन की स्थिति पर भी चर्चा चर्चा की। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने यह जानकारी दी।
यूक्रेन की स्थिति का हिन्द-प्रशांत क्षेत्र पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए
हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि यूक्रेन को लेकर दोनों पक्षों ने क्वाड शिखर सम्मेलन का उल्लेख किया था, जिसमें नेताओं का स्पष्ट दृष्टिकोण था कि यूक्रेन की स्थिति का हिन्द-प्रशांत क्षेत्र पर प्रभाव नहीं होना चाहिए। दोनों नेताओं ने यूक्रेन में चल रहे संघर्ष और मानवीय स्थिति के बारे में गंभीर चिंताओं पर चर्चा की।
भारतीय विदेश सचिव ने कहा कि इस समिट में क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों को कवर किया गया है। प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने 2023 में जी-20 की भारत की अध्यक्षता का स्वागत किया और भारत के साथ वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर करीब से काम करने की ऑस्ट्रेलिया की प्रतिबद्धता को दोहराया है। विज्ञान और तकनीक सहयोग का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। दोनों नेताओं ने ऑस्ट्रेलिया-भारत स्ट्रेटिजिक रिसर्च फंड के विस्तार का स्वागत किया।
श्रृंगला ने कहा कि पीएम मोदी ने लद्दाख में एलएसी, पिछले वर्ष की घटनाओं का उल्लेख किया और उन्होंने जोर दिया कि सीमा क्षेत्र में शांति और चीन के साथ संबंधों के सामान्यीकरण के लिए एक आवश्यक शर्त थी। पीएम मॉरिसन ने भी इस क्षेत्र में चीन और उसके रवैये को देखा है। उन्होंने दक्षिण चीन सागर के बारे में विशेष रूप से बात की।
द्वितीय भारत-ऑस्ट्रेलिया वर्चुअल शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री @narendramodi के संबोधन के मुख्य अंश। pic.twitter.com/w5RxuspUpu
— MyGovHindi (@MyGovHindi) March 21, 2022
वहीं दोनों देश के नेताओं ने यह सहमति व्यक्त की है कि वे भारत के राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष और ऑस्ट्रेलिया के पेंशन और संप्रभु कोष के बीच सहयोग बढ़ाएंगे। विदेश सचिव ने कहा, ‘हमारे बुनियादी ढांचे के विकास में ऑस्ट्रेलियाई निवेश को आकर्षित करने में हमारी रुचि के कारण यह महत्वपूर्ण है।’
इसके तहत भारत ऑस्ट्रेलिया के पेंशन और सॉवरेन फंड के लिए वही कर लाभ प्रदान करेगा, जो ऑस्ट्रेलिया में दिया गया है। विदेश सचिव ने कहा, ‘हम ऑस्ट्रेलिया द्वारा अपने सॉवरेन और पेंशन फंड को दिए जाने वाले कर लाभों का मिलान करने के लिए तैयार हैं।’