नई दिल्ली, 4 फरवरी। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की मौजूदा अध्यक्ष और उड़नपरी के नाम से मशहूर ओलंपियन धाविक पीटी उषा ने आरोप लगाया है कि राज्यसभा में नामित किए जाने के बाद से उन्हें लगातार परेशान किया जा रहा है। इस क्रम में कोझिकोड जिले में उनकी एकेडमी कैंपस में अवैध निर्माण किया जा रहा है। उनकी संपत्ति में घुसपैठ की जा रही है, जिससे वहां रहने वालों की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया है।
नई दिल्ली में मीडिया कॉन्फ्रेंस के दौरान रो पड़ीं उषा
नई दिल्ली में शनिवार को मीडिया कॉन्फ्रेंस के दौरान रो पड़ीं उषा ने कहा कि उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स के खिलाड़ी कुछ समय से इस तरह के उत्पीड़न और सुरक्षा से जुड़े मसले का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके राज्यसभा सदस्य बनने के बाद से यह समस्या और बढ़ गई है।
केरल के सीएम विजयन से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग
गौरतलब है कि पीटी उषा को जुलाई 2022 में भाजपा की ओर से राज्यसभा के लिए नामित किया गया था। ‘उड़नपरी’ ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। उन्होंने कहा कि कैंपस में अतिक्रमण को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाया जाए और महिला एथलीटों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा, ‘उषा स्कूल्स में 25 महिला एथलीटों में से 11 उत्तर भारत से हैं। इन सबकी सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है। मैंने इस संबंध में मुख्यमंत्री को लिखित शिकायत भेजी है।’
‘कैंपस में फेंका जा रहा कूड़ा‘
उषा ने नम आंखों के साथ कहा, ‘कैंपस में बड़े पैमाने पर कूड़ा फेंका जा रहा है। हमें ड्रग माफिया का भी खतरा है। स्थानीय पंचायत अकादमी प्रबंधन को चाहरदीवारी बनाने नहीं दे रही है। उन्होंने कहा, ‘कैंपस के ठीक बीच में किसी ने अवैध निर्माण किया है। जब हमने इस बारे में पूछा तो बताया गया कि उन्हें इसके लिए पंचायत अधिकारियों से मंजूरी मिली है। इस अतिक्रमण पर सवाल उठाने पर स्कूल मैनेजमेंट के साथ अभद्र व्यवहार किया गया।’
‘30 वर्षों के लिए लीज पर मिली थी जमीन‘
पीटी उषा ने कहा कि 30 एकड़ जमीन पर उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स स्थित है, जिसे राज्य की पिछली ओमन चांडी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 30 वर्षों के लिए लीज पर दिया था। उड़नपरी से पूछा गया कि भाजपा की ओर से राज्यसभा के लिए नामित किए जाने के बाद क्या उनकी अकादमी के लोगों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है? इस पर उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक राजनीतिक दल की आदत है कि वह उन्हें अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी का सदस्य मानते हैं। कांग्रेस कहेगी कि मैं माकपा समर्थक हूं, जबकि मार्क्सवादी पार्टी कहती है कि मेरा भाजपा से जुड़ाव है। मगर, मेरी कोई राजनीतिक सोच नहीं है। मैं हर संभव तरीके से लोगों की मदद करना चाहती हूं।’