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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी में जातीय गणना को लेकर राज्य सरकार से मांगा जवाब, 4 हफ्ते बाद होगी सुनवाई

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प्रयागराज, 8 अगस्त। पटना हाई कोर्ट ने एक तरफ बिहार में जातीय गणना को सही ठहराते हुए जहां नीतीश सरकार को राहत प्रदान की है वहीं यूपी में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में जातिगत जनगणना कराने की मांग संबंधी याचिका पर राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांग लिया है। न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने गोरखपुर के सामाजिक कार्यकर्ता काली शंकर की याचिका पर मंगलवार को यह आदेश जारी किया।

गोरखपुर के सामाजिक कार्यकर्ता काली शंकर ने दाखिल की है याचिका

याची का कहना है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति की गणना की गई है। वे क्रमशः 15 व 7.5 फीसदी है, जिनको आबादी के हिसाब से सुविधाएं दी जा रही है, लेकिन ओबीसी की जाति जनगणना दशकों से नहीं की गई, इसलिए ओबीसी की जाति जनगणना की जानी चाहिए ताकि सही संख्या का पता चले और उन्हें इसका लाभ दिया जा सके। जाति जनगणना न होने से पिछड़े समाज का बहुत ही अहित हो रहा है। कोर्ट इस याचिका पर चार सप्ताह बाद फिर सुनवाई करेगी।

सपा और सुभासपा भी कर रहीं मांग

गौरतलब है कि बिहार में जातीय गणना के साथ ही यूपी में भी इसकी मांग जोर पकड़ रही है। मुख्य विपक्षी पार्टी सपा ही नहीं एनडीए में शामिल और भाजपा की सहयोगी ओपी राजभर की सुभासपा भी जातीय गणना की मांग पुरजोर तरीके से लगातार उठा रही है।

अखिलेश यादव ने विधानसभा समेत कई मंचों से यूपी में जातीय गणना कराने की मांग की है। अब हाई कोर्ट की नोटिस के बाद भाजपा और योगी सरकार का इस पर रुख पता चल सकेगा। हालांकि बिहार भाजपा ने भी नीतीश सरकार के जातीय गणना कराने का समर्थन किया है।

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