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ज्ञानवापी मस्जिद केस : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 30 सितम्बर तक बढ़ाया अंतरिम आदेश

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प्रयागराज, 30 अगस्त। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अपना अंतरिम आदेश 30 सितम्बर तक के लिए बढ़ा दिया। दरअसल, उच्च न्यायालय वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें वाराणसी की अदालत में दायर मूल वाद की पोषणीयता को चुनौती दी गई है।

उच्च न्यायालय ने मौजूदा मामले में पिछले वर्ष नौ सितम्बर को वाराणसी की अदालत के आठ अप्रैल, 2021 के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का समग्र भौतिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था।

मामले की अगली सुनवाई 12 सितम्बर को

न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने वादी पक्ष के वकील के अनुरोध पर उन्हें पूरक रिज्वाइंडर हलफनामा दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया और इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 सितम्बर तय की।

प्रतिवादी वकील का तर्क – बेहतर न्यायिक निर्णय के लिए साक्ष्य सामने आने देना चाहिए

प्रतिवादी पक्ष के वकील अजय कुमार ने दलील दी कि उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 3 को पढ़ने से स्पष्ट है कि यह एक उपासना स्थल के परिवर्तन को रोकने से संबंधित है और अभियोग के अध्ययन से पता चलता है कि वादी उस स्थल का परिवर्तन नहीं चाहता। उन्होंने दलील दी कि विवादित स्थल का धार्मिक चरित्र एक मंदिर का है जोकि प्राचीन समय से आज तक अस्तित्व में है। उन्होंने कहा कि इसलिए याचिका पर बेहतर न्यायिक निर्णय के लिए साक्ष्य सामने आने देना चाहिए।

एएसआई को 10 दिनों के अंदर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘जहां तक केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का संबंध है, मामले पर सुनवाई के समय कोई भी व्यक्ति उपस्थित नहीं था। एक लघु जवाबी हलफनामा इनके द्वारा दाखिल किया गया जोकि आधा अधूरा है और महज ढाई पेज का है। चूंकि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक को इस मामले में 10 दिनों के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है।’ अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार के अपर सचिव (गृह) को भी इस मामले में 10 दिनों के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

उल्लेखनीय है कि मूल वाद वाराणसी की जिला अदालत में 1991 में दायर किया गया था, जिसमें उस जगह पर प्राचीन मंदिर बहाल करने की मांग की गई है, जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद है।