प्रयागराज, 12 मई। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि निर्वाचन आयोग, उच्च अदालतें और सरकार कुछ राज्यों और उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव कराने के दौरान कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता का अनुमान लगाने में विफल रहीं, जिसके कारण अबकी ग्रामीण क्षेत्रों में भी संक्रमण फैल गया।
हाई कोर्ट ने एक याचिका पर फैसला सुनाने के दौरान यह कड़ी टिप्पणी की। हाई कोर्ट ने कहा कि गत वर्ष कोरोना की पहली लहर में संक्रमण ग्रामीण क्षेत्र में नहीं फैला था, लेकिन इस बार यह गांवों तक फैल चुका है। सरकार शहरी एरिया के संक्रमण को ही नियंत्रित करने में परेशान है, उसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में संक्रमितों का पता लगाकर उनका इलाज कर पाना बहुत कठिन होगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपित गाजियाबाद के प्रतीक जैन की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते और जेलों में भीड़-भाड़ होने से आरोपित के जीवन को जेल में खतरा उत्पन्न हो सकता है। ऐसे में संक्रमण के दौरान आरोपित को सीमित अवधि के लिए अग्रिम जमानत देना उचित है।
हाई कोर्ट ने कहा कि यदि याची गिरफ्तार होता है तो उसे सीमित अवधि 3 जनवरी, 2022 तक अग्रिम जमानत दी जाए। उच्च न्यायालय के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जेलों में भीड़-भाड़ रोकने के लिए निर्देश दिया है। ऐसे में इस निर्देश की अनदेखी कर जेलों में भीड़ बढ़ाने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।
अदालत ने कहा कि इस समय सरकारी वकील भी यह आश्वासन नहीं दे पा रहे हैं कि आरोपित को जेल जाने से उसे कोरोना महामारी संक्रमण के खतरे से बचाया जा सकेगा। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस की सितम्बर में तीसरी वेब आने की सम्भावना है। अदालतों का काम बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और यह आगे कब तक प्रभावित रहेगा, इसे लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।