प्रयागराज, 22 दिसम्बर। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत पूरे उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं और वादियों को अदालत परिसर में हथियार ले जाने पर रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय ने यह फैसला देते हुए कहा है कि अधिवक्ता समेत कोई भी व्यक्ति अदालत परिसर में हथियार नहीं रख सकता है। हाई कोर्ट का कहन है कि यह अधिकार सिर्फ सुरक्षाकर्मियों को है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना है कि जब भी सार्वजनिक शांति या सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा हो, तो शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 17(3)(बी) के तहत लाइसेंसिंग प्राधिकारी के लिए लाइसेंस रद करना या निलंबित करना अनिवार्य है। इसी के तहत पूरे उत्तर प्रदेश में वकीलों/वादियों को अदालत परिसर में हथियार ले जाने पर रोक लगाई गई है।
सशस्त्र बलों को छोड़ अन्य किसी के पास हथियार मिला तो उसका शस्त्र लाइसेंस रद होगा
न्यायालय ने माना है कि वकीलों और वादियों को अदालत परिसर के अंदर हथियार ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि यह स्पष्ट रूप से अदालत परिसर में सार्वजनिक शांति या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा होगा और न्याय प्रशासन पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। न्यायालय परिसर में ड्यूटी पर तैनात सशस्त्र बलों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को न्यायालय परिसर के अंदर हथियार ले जाते हुए पाए जाने पर उसका शस्त्र लाइसेंस रद कर दिया जाएगा।