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गुजरात दंगा : देलोल हत्याकांड के सभी आरोपित बरी, सत्र अदालत ने बताया निर्दोष

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अहमदाबाद, 24 जनवरी। वर्ष 2002 के गुजरात दंगे के दौरान पंचमहल में देलोल हत्याकांड हुआ था, जहां पर छह लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। उस केस में 22 लोगों को आरोपित बनाया गया था। अब उन 22 लोगों में से 14 को सेशन्स कोर्ट ने निर्दोष बता दिया है और सभी को बरी कर दिया गया है। वहीं इन 22 लोगों में से आठ ऐसे हैं, जिनकी सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई। यानी कि उस हत्याकांड के सभी आरोपित बरी हो चुके हैं।

देलोल में भीड़ ने 6 लोगों की हत्या कर दी थी

गौरतलब है कि जब गुजरात में वर्ष 2002 में दंगे हुए थे, तब देलोल में भीड़ ने छह लोगों की हत्या कर दी थी। पुलिस चार्जशीट में कुल 22 लोगों को आरोपित बनाया गया था। कई वर्षों तक ये आरोपित जेल में भी रहे। लेकिन अब 18 साल बाद उन्हें कोर्ट ने निर्दोष बता दिया है। किस आधार पर कोर्ट ने उन्हें निर्दोष कहा है, यह तो अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन सभी आरोपित अब जल्द ही जेल से रिहा हो जाएंगे।

बिलकिस बानो केस में भी सजा पूरी होने से पहले ही आरोपितों को छोड़ दिया गया था

ज्ञातव्य है कि बिलकिस बानो वाले मामले में भी सजा पूरी होने से पहले ही आरोपितों को छोड़ दिया गया था। असल में सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। अब जिन आरोपितों को पूरी जिंदगी जेल में रहना था, वो 15 साल के भीतर ही जेल से बाहर आ गए थे।

वस्तुतः रीमिशन पॉलिसी की वजह से सभी आरोपित समय से पहले जेल से बाहर निकल गए थे। रीमिशन पॉलिसी का सरल भाषा में मतलब सिर्फ इतना रहता है कि किसी दोषी की सजा की अवधि को कम कर दिया जाए। बस ध्यान इस बात का रखना होता है कि सजा का नेचर नहीं बदलना है, सिर्फ अवधि कम की जा सकती है। लेकिन अगर दोषी रीमिशन पॉलिसी के नियमों का सही तरीके से पालन नहीं करता है तो जो छूट उसे दी जा सकती है, वो उससे वंचित रह जाता है और फिर उसे पूरी सजा ही काटनी पड़ती है।