नई दिल्ली, 24 जून। हिंसाग्रस्त मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा शनिवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस व वामदलों समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भाग लिया।
बैठक में तृणमूल कांग्रेस ने मांग उठाई कि एक सप्ताह के अंदर एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर भेजा जाए। टीएमसी ने बैठक में दावा किया कि केंद्र सरकार की ओर से अब तक का संदेश अनदेखी का ही रहा है। इसे उपचार, देखभाल, शांति और सद्भाव बहाल करने के लिए बदलने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच पिछले महीने तीन मई को भड़की हिंसा में अब तक लगभग 120 लोगों की मौत हो चुकी है और तीन हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं।
बैठक में इन दलों के नेताओं की रही भागीदारी
बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह (कांग्रेस), तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ ब्रायन, मेघालय के मुख्यमंत्री एवं नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेता कोनराड संगमा, शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) नेता एम. थंबी दुरई, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता तिरुचि शिवा, बीजू जनता दल (बीजद) के नेता पिनाकी मिश्रा, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता मनोज झा शामिल हुए। बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, नित्यानंद राय और अजय कुमार मिश्रा, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका भी उपस्थित रहे।
जयराम रमेश बोले – भाजपा ने मणिपुर के लोगों को बुरी तरह निराश किया है
इससे पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि मणिपुर 52 दिनों से जल रहा है और आखिरकार गृह मंत्री ने आज दोपहर तीन बजे मणिपुर पर सर्वदलीय बैठक बुलाना उचित समझा है। रमेश ने ट्विटर पर कहा, ‘वास्तव में इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री को करनी चाहिए थी, जो इतने समय तक चुप रहे। इसे राष्ट्रीय वेदना के प्रदर्शन के तौर पर इम्फाल में आयोजित किया जाना चाहिए था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मणिपुर के लोगों को बुरी तरह से निराश किया है।’
गौरतलब है कि मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए छात्रों के एक संगठन द्वारा तीन मई को आहूत ‘आदिवासी एकता मार्च’ में हिंसा भड़क गई थी। शाह ने पिछले महीने चार दिनों के लिए राज्य का दौरा किया था और मणिपुर में शांति बहाल करने के अपने प्रयासों के तहत विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात की थी। फिलहाल विपक्षी दल स्थिति से निबटने के तरीके को लेकर सरकार की आलोचना कर रहे हैं क्योंकि 50 दिनों के बाद भी हिंसा नहीं रुकी है।
मणिपुर के मंत्री का गोदाम फूंका, घर जलाने की भी कोशिश
इस बीच मणिपुर में भीड़ ने राज्य सरकार में मंत्री एल सुसींद्रो के इम्फाल पूर्वी जिले के चिनगारेल स्थित निजी गोदाम में आग लगा दी। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी। भीड़ ने उपभोक्ता एवं खाद्य मामलों के मंत्री सुसींद्रो के इसी जिले के खुरई इलाके में स्थित आवास और अन्य संपत्तियों को भी शुक्रवार रात आग के हवाले करने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों के वक्त पर पहुंचकर उन्हें रोक दिया।
पुलिस ने कहा कि सुरक्षा बलों ने आधी रात तक आंसू गैस के कई गोले दागे, ताकि भीड़ को मंत्री के खुरई स्थित आवास का घेराव करने से रोका जा सके। घटना में किसी के भी हताहत होने की जानकारी नहीं है। इससे पहले, राज्य की महिला मंत्री नेमचा किपगेन के इंफाल पश्चिम जिले के लामफेल इलाके स्थित घर को 14 जून की रात को अज्ञात लोगों ने जला दिया था