लखनऊ, 28 अक्टूबर। केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा अखिलेश यादव से उनके आरोपों पर सुबूत मांगे जाने के एक दिन बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने निष्पक्ष चुनाव पर सवाल उठाते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग ने यदि स्वयं विधानसभा चुनाव 2022 में मतदाता सूची संबंधित नियमों का पालन किया होता तो हजारों मतदाता मतदान से वंचित नहीं रह जाते।
विधानसभा चुनाव 2022 में तमाम धांधलियां हुईं
अखिलेश यादव ने शुक्रवार को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में कहा कि भाजपा सरकार द्वारा विपक्ष की आवाज को दबाने की साजिश की जाती है। चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से हों यह संवैधानिक दायित्व निर्वाचन आयोग का है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव 2022 में तमाम धांधलियां हुईं, जिनके प्रति समाजवादी पार्टी ने लगातार आपत्तियां की थी।
सपा प्रमुख ने कहा कि चुनाव के दौरान लखनऊ में डीआईजी लक्ष्मी सिंह की लगातार शिकायतें करने के बावजूद उनका स्थानांतरण नहीं किया गया जबकि सरोजनी नगर क्षेत्र में उनके पति भाजपा प्रत्याशी थे। ऐसे कई अधिकारियों को, जो वर्षों से एक ही जगह जमे थे, भी हटाया नहीं गया। कई जगह पति-पत्नी दोनों अधिकारी चार्ज सम्हाल रहे थे, लेकिन उनको भी वहां रहने दिया गया।
हजारों मतदेय स्थल क्यों बदले गए
अखिलेश ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में हजारों मतदेय स्थल भी क्यों बदल दिए गए? इससे कई मतदाता भटकते रहे। तमाम मतदाताओं के नाम सूची से बाहर हो गए। शासन-प्रशासन, मशीनरी द्वारा मतदान में देरी की गई और मनमाने तरीके से मतदान कराया गया। कई जगह पीठासीन अधिकारी के पास की सूची और अंतिम सूची में भी अंतर क्यों पाया जाता है?
निकाय चुनाव में भी जताई धांधली की आशंका
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश ने कहा कि अभी अंतिम मतदाता सूची बनी नहीं, मतदान की प्रक्रिया की घोषणा भी नहीं हुई, लेकिन भाजपा नेता नगर निगम के सभी 17 स्थानों पर काबिज हो जाने का दावा कैसे कर सकते हैं? निर्वाचन अधिकारी को इसका संज्ञान लेना चाहिए कि कहीं यह विधानसभा चुनाव 2022 की तरह निकाय चुनाव में भी धांधली का भाजपाई एजेण्डा तो नहीं है? वर्तमान भाजपा सरकार की साजिशों के चलते देश में लोकतंत्र का क्या होगा? भाजपा को केवल सत्ता चाहिए, उसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकती है। अतः समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं को सतत सजग-सतर्क रहना है।