लखनऊ, 19 अक्टूबर। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से सीट शेयरिंग पर बैठक के बाद भी समाजवादी (सपा) पार्टी को सीट नहीं मिलने से पार्टी अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव बहुत नाराज हैं। गुस्से में उन्होंने यहां तक कह दिया कि जो व्यवहार कांग्रेस ने सपा के साथ एमपी में किया है, वही व्यवहार यूपी में कांग्रेस के साथ सपा करेगी।
अखिलेश ने गुरुवार को मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि कांग्रेस की तरफ से छह सीट की बात की गई और फिर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से सपा नेताओं की रात एक बजे तक मीटिंग हुई, सीट पर दावे का आधार बताया गया, लेकिन कांग्रेस ने जीरो सीट दिया।
वादे से मुकर गई कांग्रेस, सपा के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ी
गौर करने वाली बात यह है कि कांग्रेस ने 144 सीटों पर उम्मीदवारों की सूची निकाली तो उस सीट पर भी प्रत्याशी दे दिया, जहां 2018 में सपा जीती थी। सपा ने भी नहले पर दहला मारा और अब 22 उम्मीदवार उतार दिए हैं। हालांकि कांग्रेस की सूची से पहले उसने सात नाम ही घोषित किए थे।
अखिलेश यादव ने इसी आक्रोश में इंडिया गठबंधन के औचित्य पर भी सवाल उठाया और कहा कि अगर उन्हें पता होता कि कांग्रेस धोखा देगी तो वो सपा नेताओं को न तो एमपी कांग्रेस के नेताओं से मिलने भेजते, न ही उनको सीटों की सूची देते और न कांग्रेस वालों का फोन उठाते।
2018 में अखिलेश का फोन राहुल ने नहीं उठाया था
फोन नहीं उठाने की बात पर 2018 की एक कहानी फिर से हवा में तिरने लगी है, जब अखिलेश ने राहुल गांधी को फोन किया था और राहुल ने न तो फोन उठाया और न ही पलट कर कॉल किया। अखिलेश और राहुल ने हाथ मिलाकर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन सपा-कांग्रेस का गठबंधन किसी के काम ना आया। नरेंद्र मोदी की लहर में सपा 224 से सीधे 47 पर पहुंच गई और कांग्रेस 28 से सात पर आ गई।