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एम्स का नया अध्ययन – ब्लैक फंगस के 84.6% मरीजों ने कोरोना के इलाज के दौरान लिया था स्टेरॉयड

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नई दिल्ली, 5 जुलाई। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक नए अध्ययन में इस तथ्य का खुलासा हुआ है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के जो मामले सामने आए, उसकी मुख्य वजह यह थी कि ऐसे मरीजों ने कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड का सेवन किया था।

गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पहली लहर के मुकाबले बहुत ज्यादा मौतें हुईं। हालांकि कोरोना का ग्राफ नीचे आने के साथ ही ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के मामले तेजी से सामने आने लगे थे। कई लोगों की इसकी वजह से जान भी गई।

अब ब्लैक फंगस और इससे हुई मौतों की वजह एम्स की स्टडी में सामने आई है। इस अध्ययन में म्यूकोरमाइकोसिस के 13 मरीजों को शामिल किया गया था, जिनमें 10 पुरुष और तीन महिलाएं शामिल थीं। इनकी उम्र पांच से 55 वर्ष के बीच थी।

इस अध्ययन में शामिल एम्स के एनेस्थिसियोलॉजी और क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट के असोसिएट प्रफेसर डॉ. युद्धवीर सिंह ने बताया कि जिन लोगों में म्यूकोरमाइकोसिस पाया गया है, उनमें से 84.6 प्रतिशत लोगों को कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरायॅड दिया गया था। साथ ही बड़ी संख्या में मरीजों में डायबिटीज भी पाई गई, जो कि म्यूकोरमाइकोसिस का एक बड़ा कारण साबित हुई है।

ब्लैक फंगस के मरीजों में मृत्यु दर 64.3 फीसदी

अध्ययन में पाया गया कि 84.6 प्रतिशत मरीज ऐसे थे,जिन्हें गंभीर कोरोना हुआ था और उन्हें इलाज के दौरान स्टेरायॅड दिया गया था। इन सभी मरीजों का कोरोना का इलाज दूसरे अस्पताल में हुआ था और वहीं स्टेरॉयड दिए गए थे। स्टेरॉयड की वजह से इम्युनिटी तेजी से कम हुई और मरीज म्यूकोरमाइकोसिस के शिकार हो गए। वहीं इन मरीजों में मृत्युदर 64.3 प्रतिशत देखी गई है।

डायबिटीज भी म्यूकोरमाइकोसिस का एक बड़ा कारण

एम्स के अध्ययन में यह निष्कर्ष भी सामने आया कि म्यूकोरमाइकोसिस की वजह से मरने वाले लोगों की औसत उम्र 49.5 वर्ष थी। हालांकि मरने वालों में बड़ी उम्र के लोग ज्यादा थे। स्टडी में जिन मरीजों को शामिल किया गया था, उनमें से 61.5 प्रतिशत मरीज डायबिटीज के शिकार थे और इनमें मृत्यु दर काफी ज्यादा देखी गई। जिन्हें डायबिटीज थी, उनकी मृत्यु दर 75 प्रतिशत तक रही।

हालांकि डॉक्टर पहले भी कह चुके हैं कि जिन लोगों को डायबिटीज, कैंसर, एचआईवी जैसी बीमारी हैं, उनकी इम्युनिटी बेहद कमजोर हो जाती है, जिस वजह से उन्हें कोरोना और म्यूकोरमाइकोसिस, दोनों होने का खतरा रहता है।

अब कम हो रहे म्यूकोरमाइकोसिस के मरीज

फिलहाल पिछले कुछ दिनों में म्यूकोरमाइकोसिस के मरीजों में कमी आई है। राष्ट्रीय राजधानी के गंगाराम व एम्स जैसे अस्पतालों में बड़ी संख्या में म्यूकोरमाइकोसिस के मरीज देखे जा रहे थे, लेकिन अब उनकी संख्या काफी कम हो गई है। गंगाराम अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पहले एक दिन में 12  से 15 केस आ रहे थे, लेकिन अब ये आधे से भी कुछ कम हो गए हैं। हालांकि कोरोना वायरस के केस कम होना भी इसकी एक वजह है।