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एम्स निदेश डॉ. गुलेरिया बोले – सिर्फ वैक्सीन से काम नहीं चलेगा, पड़ सकती है बूस्टर खुराक की जरूरत

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नई दिल्ली, 24 जुलाई। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि निकट भविष्य में आने वाले कोरोना के अन्य वैरिएंट के बीच देश को दूसरी पीढ़ी के लिए कोरोनारोधी टीकों के साथ बूस्टर खुराक की भी जरूरत हो सकती है।

डॉ. गुलेरिया ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘ऐसा लगता है कि हमें शायद टीकों की बूस्टर खुराक की आवश्यकता होगी क्योंकि समय बीतने के साथ इम्यूनिटी कम होती जाती है। हमें बूस्टर शॉट लेना पड़ सकता है, जो विभिन्न उभरते रूपों के लिए कवर करेगा।’

उन्होंने कहा, ‘बूस्टर खुराक दूसरी पीढ़ी का टीका होगा। हमारे पास दूसरी पीढ़ी के टीके होंगे, जो नए वैरिएंट को कवर करने के मामले में बेहतर होंगे। बूस्टर वैक्सीन शॉट्स के ट्रायल्स पहले से ही चल रहे हैं। आपको इस साल के अंत तक शायद बूस्टर खुराक की आवश्यकता होगी। लेकिन यह केवल तब हो सकता है, जब एक बार पूरी आबादी का टीकाकरण हो जाए।’

डॉ. गुलेरिया ने बताया कि बच्चों के लिए भारत बायोटेक के कोवैक्सीन टीके का परीक्षण चल रहा है और परिणाम सितम्बर तक जारी होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार श्रेणियों में अलग करके तीन चरणों में ट्रायल किया जाता है। पहला परीक्षण 12-18 वर्ष के आयु वर्ग में शुरू किया गया था।  अब 6-12 वर्ष और 2-6 वर्ष आयु वर्ग का परीक्षण चल रहा है।

एम्स निदेशक ने कहा कि जाइडस कैडिला ने बच्चों के लिए कोविड-19 वैक्सीन के डेटा को शामिल किया है। उन्होंने कहा ‘जाइडस कैडिला वैक्सीन में बच्चे भी शामिल हैं और उनका डेटा पहले से ही हैं। कम्पनी ने पहले ही इसके आपातकालीन उपयोग के लिए प्राधिकरण के समक्ष आवेदन कर दिया है।’ गौरतलब है कि जाइडस कैडिला ने 12 से 18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए अपना ट्रायल समाप्त कर दिया है।