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‘अवैध और असंवैधानिक है मोदी सरकार की अग्निपथ योजना’, सुप्रीम कोर्ट से रद्द करने की मांग

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नई दिल्ली, 21 जून। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में भारतीय सेना में बहाली के लिए घोषित अग्निपथ योजना को लेकर बवाल मचा हुआ है। बीते दिनों सड़कों पर हिंसक आंदोलन देखने को मिला। बिहार के कई जिलों में विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए इंटरनेट बंद कर दिए गए। इस बीच केंद्र की अग्निपथ योजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए सदियों पुरानी चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया है, जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत और संसदीय मंजूरी के बिना है।

वकील मनोहर लाल शर्मा ने अपनी याचिका में कहा, “संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत और संसद में बिना किसी राजपत्र अधिसूचना के केंद्र सरकार ने सदियों पुरानी सेना चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया और देश में अग्निवीर-22 योजना लागू की है। इसे 24 जून से शुरू करने की घोषणा की गई है। ” उन्होंने इस योजना को “अवैध” और “असंवैधानिक” करार दिया और अदालत से रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी 14 जून के प्रेस नोट को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की है।

इस स्कीम के तहत लड़के एवं लड़कियों दोनों को ही तीनों सेनाओं में भर्ती का मौका मिलेगा। अग्निवीर के आवेदन के लिए आयु 17 साल 6 महीने से लेकर 21 साल तक की होनी चाहिए। हालांकि, इस साल के लिए दो साल की छूट दी गई है। सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि इससे 10वीं या 12वीं पास होते ही युवाओं को एक अच्छा करियर मिल सकेगा। उनके पास बेहतर सैलरी, प्रशिक्षण और भविष्य की राह तीनों होंगे।

पहले साल में अग्निवीरों को सालाना 4.76 लाख रुपये का पैकेज मिलेगा। चौथे साल के अंत तक यह राशि बढ़कर 6.92 लाख रुपये हो जाएगी।

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