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झारखंड की नक्सल आतंक से मुक्ति के बाद कोबरा बटालियन की 6 टीमें अब तेलंगाना और छत्तीसगढ़ भेजी जाएंगी

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नई दिल्ली, 11 मार्च। नक्सल प्रभावित राज्य झारखंड से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की विशेष नक्सल विरोधी इकाई ‘कोबरा’ की नई तैनाती योजना के अनुसार झारखंड से बाहर भेजी जा जाएंगी। यह फैसला केंद्र सरकार द्वारा झारखंड को वामपंथी उग्रवाद से मुक्त कर लिए जाने के दावे के बाद लिया गया है।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, सीआरपीएफ मुख्यालय द्वारा की गई नवीनतम समीक्षा के अनुसार कोबरा की छह टीमें तेलंगाना और छत्तीसगढ़ जाएंगी। इस नई तैनाती को आधिकारिक रूप से झारखंड से बलों की ‘वापसी’ करार दिया गया है।

मीडिया खबरों के अनुसार  झारखंड से बाहर भेजी जा रहीं कोबरा बटालियन की तीन टीमों को पुन: तैनाती योजना के अनुसार 17 मार्च तक नई जगह तैनात कर दिया जाएगा। सीआरपीएफ के कोबरा बल के ग्राउंड कमांडरों के अनुसार  नक्सलियों के साथ लड़ाई के अंतिम चरण के लिए तैनाती की जा चुकी है। नई तैनाती योजना में बुनियादी ढांचे और तकनीकी वस्तुएं उन क्षेत्रों में पहुंचेंगी, जहां नक्सली मौजूद हैं, ताकि खतरे को खत्म किया जा सके।

नई टीमें चेन्नापुरम, तिप्पापुरम और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में तैनात की जाएंगी

सीआरपीएफ मुख्यालय के बयान में कहा गया है कि टीमों को चेन्नापुरम, तिप्पापुरम और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में तैनात किया जाएगा, जहां अब भी नक्सलियों का दबदबा है। जानकारी के अनुसार अगले नौ महीनों में, केंद्र सरकार की एजेंसियां एनएसजी जैसे ​​अन्य बलों को कई अभियानों के लिए आगे बढ़ाएंगी। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) को पहले से ही नक्सल विरोधी बलों द्वारा जंगल युद्ध का प्रशिक्षण दिया जा चुका है और केंद्रीय एजेंसियों ने ड्रोन हमलों के माध्यम से काररवाई भी की है।

करीब तीन दशक के बाद झारखंड का बुद्धा पहाड़ नक्सलियों के वर्चस्व से मुक्त

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के सुकमा इलाके में नक्सलियों द्वारा सुरक्षाबलों पर हमले होते रहे हैं। स्थिति को संभालने के लिए क्षेत्र में और अधिक कोबरा टीमों को तैनात किया जाएगा। पूर्व डीजी सीआरपीएफ कुलदीप सिंह के अनुसार करीब तीन दशक के बाद सुरक्षा बलों ने झारखंड के बुद्धा पहाड़ को नक्सलियों के वर्चस्व से मुक्त करा लिया है। यह एक नक्सल बहुल क्षेत्र था, लेकिन अब यहां सीआरपीएफ का एक कैंप है। हाल ही में बुद्धा पहाड़ पर एक एमआई -17 हेलीकॉप्टर भी सफलतापूर्वक उतरा गया था।