ढाका, 10 अगस्त। आरक्षण विरोध को लेकर शुरू हुए छात्रों के उग्र प्रदर्शन के बीच राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहे बांग्लादेश का संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस क्रम में पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा और फिर नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री 84 वर्षीय प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस की अगुआई में अंतरिम सरकार का गठन होने के दो दिन बाद ही चीफ जस्टिस ओबैदुल हसन को भी इस्तीफा देना पड़ गया।
छात्र प्रदर्शनकारियों के जबर्दस्त हंगामे व चेतावनी के बाद चीफ जस्टिस ने इस्तीफा देने का फैसला किया। ओबैदुल हसन को पिछले वर्ष बांग्लादेश का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया था। हसन को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का करीबी भी माना जाता है।
इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट ही घेर लिया था
दरअसल, आज प्रदर्शनकारियों ने ढाका में सुप्रीम कोर्ट को घेर लिया था और चीफ जस्टिस सहित सभी जजों को दोपहर एक बजे तक इस्तीफा देने का अल्टीमेटम दिया था। इसके बाद चीफ जस्टिस ने राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से परामर्श करने के बाद अपना इस्तीफा सौंप दिया।
प्रदर्शनकारी छात्रों और नागरिकों पर दर्ज सभी मामले वापस होंगे
कानून, न्याय और संसदीय मामलों के सलाहकार प्रोफेसर आसिफ नजरुल ने बताया कि कानून मंत्रालय ने छात्रों और नागरिकों के हालिया विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए एक जुलाई से पांच अगस्त के बीच दर्ज सभी मामलों को वापस लेने का फैसला लिया है। ये कदम आगामी तीन दिन के भीतर उठाया जाएगा।
इससे पहले मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन ने सर्वोच्च न्यायालय के दोनों प्रभागों के सभी न्यायाधीशों के साथ बैठक बुलाई थी। लेकिन, छात्रों के विरोध को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश हसन ने बैठक स्थगित कर दी और बाद में कहा कि वह पद छोड़ देंगे
सैकड़ों प्रदर्शनकारी छात्रों के एकत्र होने पर दोपहर एक बजे बांग्लादेश सेना के जवानों को सुप्रीम कोर्ट परिसर के मुख्य भवन, एनेक्सी भवन और आसपास के अन्य इलाकों में तैनात किया गया। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने का आग्रह किया और सरकारी संपत्तियों को नुकसान न पहुंचाने का आह्वान किया।
चीफ जस्टिस बोले – न्यायाधीशों की सुरक्षा के मद्देनजर इस्तीफा दिया
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश हसन ने शीर्ष न्यायालय परिसर में पत्रकारों से कहा कि उन्होंने देश के हालात के बीच सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और निचली अदालतों के न्यायाधीशों की सुरक्षा को देखते हुए इस्तीफा देने का फैसला किया है। यह पूछे जाने पर कि क्या सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीश भी इस्तीफा देंगे, उन्होंने कहा कि ये उनका फैसला है।